अमर उजाला पर प्रकाशित एक व्यंग्य
सार्वजनिक स्थानों पर स्मोकिंग पर प्रतिबंध लगते ही सिगरेट पीने वालों के सिर पर पहाड़ टूट पड़ा है। ऑफिस में स्मोकिंग जोन नहीं है, और बाहर सिगरेट पीने पर पुलिस पकड़ लेगी। एक मशहूर फिल्म में देव आनंद साहब सिगरेट का धुआं उड़ाते हुए गाना गाते हैं, हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया। वह फिल्म देखकर हर सिगरेट पीने वाला खुशी-खुशी सिगरेट का कश भरता और अपने चारों तरफ धुएं का गुबार छोड़ता हुआ यही गुनगुनाता था। यह और बात है कि कुछ महीनों या सालों के बाद न वह रहता और न उसकी परेशानियां।
कई चेन स्मोकर सिगरेट ऐसे पीते हैं, जैसे सांस उस पाइप से ही आ-जा रही हों। एक सज्जन ने सिगरेट का अंगरेजी में संधि-विच्छेद करते हुए इसे शी ग्रेट कहा, तो मुझे इसका धुआं उड़ाए बिना ही चक्कर आने लगा। सिगरेट सचमुच तुम कितनी महान हो। ऊंचे लोगों की ऊंची पसंद हो। ऊंची पसंद से याद आया। हमारे स्वास्थ्य मंत्री अंबूमणि रामदास की नजर अब तंबाकू पर भी पड़ गई है। ऐसे में, वह यूपी-बिहार से कोई पंगा तो नहीं ले रहे? एक फिल्म में अमिताभ बच्चन पर गाना फिल्माया गया था, अस्सी चुटकी नेब्बे ताल, रगड़ के खैनी मुंह में डाल, फिर खैनी का देख कमाल। अब ये कमाल देखने के लिए तो खैनी को मुंह में डालना ही होगा न? और सबसे बड़ी बात यह कि जो अमिताभ भैया के फैन चारों तरफ टंगे हुए हैं, वे तो ऐसा करेंगे ही।
कुछ लोग अपने बच्चों से सिगरेट मंगवाते हैं। ऐसे बच्चे आंखें बचाकर कभी-कभी खुद भी एकाध कश खींच ही लेते हैं। उन्हें लगता है, इस तरह वे जल्दी ही बड़े बन जाएंगे। और तो और, सीधे-सादे और संजीदा लगने वाले गुलजार साहब के भी मन में न जाने क्या बात आई कि उन्होंने बीड़ी सुलगाई। अब बच्चे भी गाने लगे हैं, बीड़ी जलइले...जिगर से पिया, जिगर मा बड़ी आग है। अब इन बच्चों के जिगर की आग बुझाने के लिए स्वास्थ्य मंत्री को कोई न कोई कानून बनाना ही होगा।
कल मैंने सिगरेट के लगातार कश लगाते एक ट्रैफिक पुलिस के जवान को देखकर पूछा, आप क्यों परेशान हैं? सिगरेट पीने वालों को कैसे पकड़ेंगे, क्या यही सोच रहे हैं? उसने कहा, नहीं जी, मैं तो यह सोचकर परेशान हूं कि अब सिगरेट कैसे और कहां पी जाएगी?
पान की दुकान पर कांटे फिल्म का गाना बज रहा था, सिगरेट के धुएं का छल्ला बना के, सोचना है क्या, जो होना है होगा, चल पड़े है फिक्र यार, धुएं में उड़ा के।अब सरकार को तो फिक्र है अपने नागरिकों के सेहत की, सो उसने इस तरह के धुएं को गैरकानूनी बता दिया है।
कई लोग पूछते हैं, सिगरेट, बीड़ी, तंबाकू बनाने वाली कंपनियां कब तक बंद होंगी? बंद किसलिए भैया? असली मुनाफा तो नशे से ही होता है। इसका मजा ही कुछ और है। एक बार पीकर तो देखो। सारी फिक्र भूल जाओगे।
सुनीता शानू
दीवाली की शुभ अतिशुभकामनाओं के साथ,
ReplyDeleteउजाला में ही पढ़ लिया था यह बेहतरीन लेख। अच्छा किया जो ब्लागरों के लिए भी प्रकाशित कर दिया। दिल बाग़-बाग़ हो गया। बधाई
मै तो देख रहा हूँ कि सिगरेट/बीड़ी पीने वाले तो अब भी धूंवा उड़ा रहे हैं. और इस धुएं का क्या कहिए जो ऊपर दीपावली के बहाने अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं. लेख अच्छा लगा. आभार.
ReplyDeleteकही कुछ बदला नजर नही आता ....अब भी लोग धड़ल्ले से पीते है....ये सिर्फ़ कुछ दिनों का शोर था
ReplyDeleteसही है एक बार पी कर देखो सब भूल जाओगे..देखते हैं पीकर!! :)
ReplyDeleteबहुत अच्छा िलखा है आपने । देश के मौजूदा हालात को बहुत यथाथॆपरक ढंग से दशाॆया है आपने । कई सवाल भी खडे करती है ।
ReplyDeletehttp://www.ashokvichar.blogspot.com
आप का लेखन बहुत सशक्त हे
ReplyDeletefirst time visited u r post
now will read regularly
thanks to visit my dustbin
regards
naya likha he
ReplyDeletedo visit chande ka saand
regards
एक सज्जन ने सिगरेट का अंगरेजी में संधि-विच्छेद करते हुए इसे शी ग्रेट कहा, .......हमारे स्वास्थ्य मंत्री अंबूमणि रामदास की नजर अब तंबाकू पर भी पड़ गई है !
ReplyDeleteसुपर्ब सर्वोत्तम कमेन्ट
very nice work
ReplyDeleteShyari Is Here Visit Jauru Karo Ji
http://www.discobhangra.com/shayari/sad-shayri/
Etc...........
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 10- 11 - 2011 को यहाँ भी है
ReplyDelete...नयी पुरानी हलचल में आज ...शीर्षक विहीन पोस्ट्स ..हलचल हुई क्या ???/
bahut achche vishya par likha hai uttam vyangya hai.aabhar.
ReplyDeleteसब जगह अपनी बीडी, लोगों का जिगर, जलई ले...
ReplyDeleteप्रतिबन्ध का क्या, इसका तो बस मखउल उडई ले...
बढीया लेखन...
सादर...
लगता है आपने शी ग्रेट को टी ग्रेट बना दिया
ReplyDeleteहै शानू जी.
'टी' के बिजनिस में बहार आ गई है.
आपकी तीन साल पुरानी पोस्ट भी मानो
अभी की ताज़ी लग रही है.
'गर्म चाय का प्याला हो...'
बहुत सही!
ReplyDeleteसादर
सटीक व्यंग्य
ReplyDeleteवाह, शानदार व्यंग
ReplyDeleteसार्थक व सटीक,बधाई !
ReplyDeletebahut achchha lekh....achchha lga aapke blog par aakar..
ReplyDeleteआपके लेख ने तो बड़े बड़ों की बीडी जला दी है. बढ़िया व्यंग मजा आ गया.
ReplyDeleteआभार.
हर फ़िक्र को धुएं में उडाता चला गया----तो बुराई नहीं है.
ReplyDeleteबहुत सार्थक और सटीक व्यंग्...
ReplyDeleteसटीक व्यंग्य .....!!!
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