http://shikhakriti.blogspot.com/ आज शिखा जी का ब्लॉग देखा.. पढ़ कर एक टिप्पणी याद आ गई। जो कुछ समय पहले ही लिखी थी जब दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स चल रहे थे। और कुश्ती में भारत की जीत हो रही थी। आप सब भी थोड़ा आनंद लीजिये।
कॉमनवेल्थ गेम्स के चलते आस्ट्रेलिया ने एक मीटिंग बुलाई। मीटिंग का अजेंडा था कि अचानक ऎसा क्या हुआ जो आस्ट्रेलिया के धुरन्धर कुश्तीबाज अपने आप को इंडिया वालो से छुड़ा कर अखाड़े से भाग खड़े हुए। जाँच कमैटी को ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों से पता चला कि उनके पीछा छुड़ा कर भागने की वजह इंडियन्स की पावरफ़ुल फ़्लेवर थी।जो उनकी सैंसीबिलिटी को इफ़ेक्ट करती है। जिसकी वजह से वो या तो नाक बन्द करने को मजबूर थे या मैदान छोड़ भाग जाने को। अतः नाक बंद कर वही खड़े-खड़े पिटने से अच्छा उन्हे मैदान छोड़ भागना ही लगा। ये फ़्लेवर किस तरह की है डोपिंग टैस्ट में तो कुछ पता नही चला। खिलाड़ियों की फ़िर से जाँच की गई तो पाया कि खिलाड़ियों को मूली का पराँठा खिलाया गया था। अब मूली का पराँठा कैसे डोपिंग में पकड़ा जाता। लगता है इंडिया वालों ने जीतने का ये नायाब तरीका सोच निकाला है। अब ऑस्ट्रेलिया में मूली खाई भी जाती होगी तो क्या हुआ उसके विशेष गुणों की परख तो इडियां वाले ही जानते हैं। मूली भी सदियों से कुश्ती के अखाड़े में बदनाम होती आ रही थी। जब एक खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ी को ललकारता था कि तू किस खेत की मूली है। आखिर कब तक सहती आज उसकी कुर्बानी व्यर्थ नही गई। मिटते-मिटते भी देश के काम आ गई और कुश्ती में गोल्ड मेडल दिला ही गई।
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हा हा हा अभी आपके दिए लिंक्स से ही आई हूँ हा हा हा .हंसी बंद हो जाये तब कुछ बोलूंगी .
ReplyDeleteदी.. आज बहुत दिनों के बाद ब्लॉग पर आना हुआ....
ReplyDeleteफिलहाल तो हंस रहा हूँ...
ReplyDeleteवाह वाह वाह क्या टिपण्णी है मजा आ गया वाकई मुली के पराठो में इतना ही दम होता है पास क्या वो तो दूर बैठे लोगो को भी मैदान छोड़ने पर मजबूर कर सकती है :))))
ReplyDeleteशिखा के ब्लॉग पर टिप्पणी देने से पहले मैंने सोचा कि पहले ज़रा यहाँ ही हो आया जाये ...और अब :) :) हंसी इतनी आ रही है कि क्या कहूँ ?
ReplyDeleteराज़ खोल दिया स्वर्ण पदक पाने का ...अगले गेम्स में मूली बैन हो जायेगी :):)
हा हा हा ...
mooli ka bhed khul gaya to kya hamaare vaidhyo ke paas sekdo tarah ke chooran hain jo ye kaam timing ke saath kar saket hai
ReplyDeletechintaa kee koi baat nahee hai
agle olympic mai kushti ke saare padak hamaare.
अब हंसी तो आयेगी ना जब असली बात आप ने लिख दी...
ReplyDelete:):) ... मूली के पराटे की सप्लाई कहां से हुई थी ..
ReplyDelete.... निर्मल हास्य.
:)
ReplyDeleteGandi baat.. bechare Susheel kumar ka majaak.. chhi..chi.. :P
ReplyDelete:D....jarur ye soch aapko muli khane se aayee hogi........:D
ReplyDeletekassh INdian cricket team ko bhi muli khilaya jaye......kuchh ho jaye..aisa chamatkaar taki..!!
bahut khub!
जबरदस्त
ReplyDeleteओह ओह, सारी उम्र व्यर्थ गंवा दी हमने, आज जाकर "तू किस खेत की मूली है?" का राज समझ में आया.:) वाकई काबिले तारीफ़ रिसर्च.
ReplyDeleteरामराम.
और शिखा जी को भी धन्यवाद कि उनकी पोस्ट ने आपको यह रिसर्च करने के लिये प्रेरित किया.
ReplyDeleteरामराम.
हा-हा-हा
ReplyDeleteक्या सचमुच ऐसा हुआ था?
प्रणाम
:-)
ReplyDeletemuli badnaam hui, phalwan tere liye!
ReplyDeletemajejaar muli ka pranthe!.
by the way aajkal ye ho kya raha hE..
east or west, bas yahi charha!
maja aaya
हा हा हा …………बहुत खूब क्या राज़ बताया है…………दम है…………
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
ReplyDeleteबाय गॉड दिल मूली मूली हो गया
ReplyDeleteआप सभी को बहुत-बहुत शुक्रिया। मूली वैसे भी बहुत फ़ायदे मंद है और आज तो साबित भी हो गया है कि कीतने फ़ायदे हैं भारतियों की पावरफ़ुल फ़्लेवर के।
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
ReplyDeleteवाह जी, वाह !
ReplyDeleteबहुत बढिया बात और शानदार मुद्दा !
वैसे मूली में ताकत तो खूब होती है तभी तो
कहावत बनी है कि "तू किस खेत की मूली है ।"