आज हम उस लौह पुरूष की बात कर रहे हैं जो राष्ट्रीय एकता के अद्भुत शिल्पी थे, जिनके ह्रुदय में भारत बसता था,जो किसान की आत्मा कहे जाते थे... जी हाँ ऎसे थे स्वतंत्र भारत के पहले उप प्रधानमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल । इनका जन्म 31 अक्टूबर सन 1875 में गुजरात में हुआ था।
स्वतंत्रता आन्दोलन में सरदार पटेल का सबसे पहला योगदान ’खेड़ा संघर्ष’ था, जब गुजरात भयंकर सूखे की चपेट में आ गया था, तब उन्होनें किसानों के नेतृत्व में अंग्रेज़ सरकार से कर में राहत की मांग की थी, एक वकील के रूप में सरदार पटेल ने कमज़ोर मुक़दमे को सटीकता से प्रस्तुत करते हुये पुलिस के गवाहों तथा अंग्रेज़ न्यायाधीशों को चुनौती देकर विशेष स्थान अर्जित किया था।
सरदार वल्लभ भाई पटेल को 1930 में नमक सत्याग्रह के दौरान तीन महीने की जेल भी हुई। उन्होनें राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेकर भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण किया था।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद क़रीब पाँच सौ से भी ज़्यादा देसी रियासतों का एकीकरण एक सबसे बड़ी समस्या थी। कुशल कूटनीति और जरूरत पड़ने पर सैन्य हस्तक्षेप के जरिए सरदार पटेल ने अधिकांश रियासतों को तिरंगे के तले लाने में सफलता प्राप्त की। उनकी इसी नीतिगत दृढ़ता के लिए ही महात्मा गाँधी ने उन्हें 'सरदार' और 'लौह पुरुष' की उपाधि दी थी।
सरदार पटेल के ऎतिहासिक कार्यों में सोमनाथ मंदिर का पुनः निर्माण, गाँधी स्मारक निधि की स्थापना और कमला नेहरू अस्पताल की रूपरेखा आदि कार्य सदैव स्मरण किये जाते रहेंगे।
सरदार पटेल को मरणोपरांत वर्ष 1991 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया गया।
उस अदम्य साहस के धनी, देशप्रेमी को हम सदैव याद करते रहेंगें।
जय-हिंद।
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