हिन्दी-मीडिया पर प्रकाशित
ऎ गणपत चल दारू ला, क्या परोस रहे हैं हम और आप अपने बच्चों को" एक टी वी चैनल पर रामायण का विज्ञापन दिखाया जाता है, कि आईये हम अपने बच्चों का भविष्य संवारें, परन्तु जैसे ही रामायण शुरू होती है बच्चे मुँह बना उठ खड़े होते है और वहाँ स्थान ले लेते हैं घर के बड़े-बुजुर्ग। चलिये एक फ़ायदा तो हुआ, अब सास-बहू के झगड़ो से हट कर धर्म-कर्म ही शुरू हो जायेगा।किन्तु यह क्या? जैसे ही कहानी घर घर की के ओम और पार्वती का किरदार निभाने वाले कलाकार महाभारत मे शान्तनु और गंगा के रूप में नजर आये, घर में खलबली मच गई, "अरे! देखो ओम कैसा लग रहा है", और महाभारत छोड़ बात चल निकली "कहानी घर-घर की" की। इतने में एक और कलाकार नजर आये बड़े जोश के साथ जँच तो बहुत रहे थे मगर फ़िर वही जाने-पहचाने मि।बजाज, उर्फ़ मिहिर उर्फ़ भीष्म को देखते ही दादी बोली लो मिहिर भी आ गया है भीष्म बन के, अब इसमें तुलसी या मन्दिरा की दाल नही गलने वाली, भीष्म तो ब्रह्मचारी थे भैया", यहाँ भी वो महाभारत को महाभारत के रूप में देखती, मगर शुरू हो गई "सास भी कभी बहू थी", बच्चों ने कहा, "दादी कोई फ़ायदा नही, एकता कपूर के सीरियल है। यह आप दूसरे चैनल पर द्रौपदी देखिये। कम से कम सास-बहू पुराण तो खत्म होगा", तो चैनल बदल दिया गया, उस पर दौपदी चीर-हरण दिखाया जा रहा था। अब उसे देख कर फ़िर आक्रोश फ़ैल गया पाँच-पाँच पति हैं, फ़िर भी ये मुआ दुर्योधन चीर-हरण कर रहा है, अब भगवान ही बचायेंगे, काफ़ी जद्दोजेहद के बाद भगवान कृष्ण ने द्रौपदी की साड़ी बढ़ाई और दादी हाथ जोड आँखों में आंसू भरकर बोली, "हे भगवान तेरे यहाँ देर है अंधेर नही, जैसी लाज तूने द्रौपदी की बचाई सबकी बचाना", उनका ये रोना बच्चों से सहन नही हुआ और चैनल फ़िर बदल दिया गया, इस चैनल पर शूर्पनखा संवाद चल रहा था, शूर्पनखा के अति न्यूनतम वस्त्र और बाकी जगह टैटू देख बच्चों ने दादी से पूछा, "दादी क्या उस समय भी टैटू का रिवाज था? अब दादी परेशान ये टैटू क्या बीमारी है भाई, मगर बच्चे चुप रहने को तैयार ही नहीं, पहले बताओ सही क्या है? अबके दादी दुःखी हो गई बोली, "चैनल बदल दो"। चैनल बदलने का सिलसिला लगातार चलता रहा, चारों दिशाओं में महात्माओं की जयजयकार हो रही थी,खबरों के चैनल पर हमने मन्दिर, मस्ज़िद, गुरूद्वारा और गिरिजाघर देख डाले, कोई भी चैनल ऎसा नजर नही आया जहाँ धर्म और आस्था की बात न दिखाई गई हो, जैसे की जीतने की होड़ लगी हो, बहुत देर से देखते-देखते आँख-कान पक गये, दादी को अकेला छोड़ सब जाने लगे,मैने कहा "एक काम करो खबर देखा करो देश में क्या हो रहा है",बच्चों ने तुरंत खबरी चैनल लगाना शुरू किया, पहले चैनल पर आ रहा था, प्रभु-दर्शन, दूसरे चैनल पर नजर आया, गुरूवाणी, फ़िर चैनल बदला तो देखा एक ज्योतिषी कह रहे थे, तुलसी की माला लेकर आराधना करें शनि को दूर भगायें, कहीं योगाचार्य जी लगे थे योग सिखाने और कहीं ईसा मसीह का उपदेश दिया जा रहा था,मैने हार कर कहा, "अरे वो लगाओ जो सर्वश्रेष्ठ चैनल है, बड़ा ही तेज चैनल है। चैनल बदलते ही नजर आया दुनियां का सर्वश्रेष्ठ चैनल और चैनल पर नजर आये एक महात्मा, जो बैठे प्रवचन दे रहे थे,सचमुच बड़ा ही तेज़ चैनल है यह तो सबके साथ इसका भी रंग बदल गया। क्या करें? क्या देखें? कुछ भी तो नया नही, एक टी वी चैनल ने तो हद ही पार कर दी, जब यह दिखाया गया कि २१ दिसम्बर २०१२ को शुरू होगा प्रलय का दिन कुछ भी नही बचेगा सब कुछ नष्ट हो जायेगा, सिर्फ़ चार साल बचे है, हमारी जिन्दगी के, यह माया सभ्यता के लोगो ने भविष्यवाणी की थी और आज केरल के हिन्दू धर्मगुरू ने भी यह दावे के साथ कह दिया है कि कलियुग अब खत्म हो जायेगा। सुनकर सभी दहशत में आ गये, दादी फ़टाफ़ट माला उठा लाई और राम-राम भजने लगी, हम सोच में पड़ गये क्या इन टी। वी। चैनलो ने जिम्मा ले लिया है, लोगो में दहशत फ़ैलाने का, कभी बम-काण्ड, कभी प्रकृति का कहर, तो कभी बलात्कार, सभी कुछ सनसनी खेज, यूं फ़िल्माया जाता है जैसे कि बैठा हुआ व्यक्ति यह सब खुद के ऊपर महसूस करता है, सबका मन कड़वा हो गया। ऎसा लगा हम अपना कीमती वक्त क्यों बरबाद कर रहे है, मगर तभी नन्हा बेटा आया और चैनल बदल दिया, "टॉम ऎण्ड जेरी" और सभी देखने लगे सब कुछ भूल कर, बच्चों का यह कार्टून सीरियल सचमुच बहुत अच्छा लगा, न कोई डर, न कोई भय, न ही कुछ सोचने की जरूरत।बेटा बोला, "देथा आपने छबछे अच्छा मेला चैनल, ओल आप मुझे देथने भी नई देले थे" उसकी मासूम तोतली आवाज सुनकर सबको हँसी आ गई, सचमुच दहशत की इस भीड़ में अगर कुछ हँसने जीने की तमन्ना नजर आई तो लगा बचपन से बेहतर कुछ भी नही, जिसे देख दादी को भी हँसी आ गई, और नासमझ, भोले नादान,दीन-दुनिया से बेखबर बच्चे गाने लगे, ऎ गणपत चल दारू ला।
कमाल की बात ये है की गनपत दारु ला जिस मूवी का सोंग है उसे भी एकता कपूर ने produce किया था ,ओंर उनकी पिछली तीन फिल्म भी सेक्स कॉमेडी के नाम पर फूहड़ है.....कैसा विरोधाभास है ना ?
ReplyDeleteaapne bilkul sachhi baat kahi hai aur bade achhe tarah se vyakt kiya hai
ReplyDeleteबच्चों ने कहा, "दादी कोई फ़ायदा नही, एकता कपूर के सीरियल है।
ReplyDeleteबच्चे भी समझदार हो गये हैं। अच्छी और सटीक रचना है। दर्शकों को भी कुछ सोचना होगा।
वैसे काफी दिन बाद मुलाकात हो रही है। खैर ब्लागवाणी का सूनापन समाप्त हुआ। धन्यवाद
sahi kaha
ReplyDeleteमे तो आप का लेख पढता पढाता साथ मे चेनल भी गिनता रहा, बाप रे इतने चेनल ओर सब पर बकबास , यह एकता कपुर खुद तो शादी करती नही , जिनकी हुई हे उन्हे भी उजडने के नये नये तरीके बताती हे.इतनी सारी बद्दुआ लेकर क्या करे गी, यह अनेकता कपुर
ReplyDeleteबिल्कुल ठीक - "टॉम ऎण्ड जेरी" सदाबहार है.
ReplyDeletebahut acchi post thi. aisa laga jaise hamare ghar ki kahani ho..
ReplyDeleteWaise ek baat to hai..cartoon networks ke fan har ghar main mojood hai :-)
एकदम सटीक व्यंग्य!
ReplyDeleteसादर