Friday, July 1, 2011

दो टके की नौकरी और ये मंहगाई....







शाम के करीब पाँच बजे थे,चाय की चुस्कियाँ लेते हुए मै अपने कम्प्यूटर पर खबरों की हैडलाइन्स पढ़ रही थी। मैने पढ़ा की आज शाम को एक मीटिंग बुलाई गई है जिसमे डीजल, और \रसोई गैस के मूल्य-वृध्दि सम्बंधी मुद्दों पर चर्चा होनी है। एक सरसरी नज़र मै खबरों पर डाल अपने दूसरे कार्यों में व्यस्त हो गई।

वक्त का पता ही नही चला कि कब रात के नौ बज गये। अभी मै कुछ सोच ही रही थी कि अचानक फ़ोन की घंटी बजी। मैने फ़ोन उठाया। उधर से एक लड़खड़ाती हुई आवाज़ आई। मैडम  क्या आपने  इंटेरनेट पर आज की ताजा खबर पढ़ी?(मेरे एक स्टॉफ़ मेम्बर का फ़ोन था।)  मैने आवाज़ को पहचानते हुए कहा हाँ क्यों कुछ खास बात?  वो बोला मैडम टी वी पर खबर आ रही है कि  डीजल तीन रूपये और गैस सिलेंडर पच्चास रूपये महंगा हो गया है। आप आज ही डाईवर को भेज कर टंकी फ़ुल करवा लीजियेगा।

मैने कहा क्या फ़र्क पड़ जायेगा आज बीस लीटर डीजल में साठ रूपये बच जायेंगे। और कल क्या होगा। उसके बाद तो बढ़ा हुआ रेट ही देना पड़ेगा। वो बोला मैडम आप लोग तो फ़िर भी बर्दाश्त कर लेंगे लेकिन हम जैसे नौकरी पेशा लोगों का क्या होगा? डीजल महगां हो जायेगा और गैस के भी पच्चास रूपये ज्यादा देने पड़ेंगे।और भी कई  चीज़ों के पैसे बढ़ जायेंगे। समझ नही आ रहा क्या किया जाये?

उसकी बातों ने अच्छी तरह पका दिया था। मैने पूछा अच्छा यह बताओ की महिने में गैस सिलेंडर कितने इस्तेमाल करते हो? शायद एक!... तो खर्चा बढ़ा पच्चास रूपये। रही बात  डीजल की तो  डीजल तुम्हे डलवाना नही होता कम्पनी डलवाती है।

अब सीधे-सीधे मेरे एक सवाल का जवाब दो दिन में कितने गुटके खा जाते हो? शायद पाँच तो गुटका जो पहले एक रूपये का आता था आज ब्लैक में दो का हो गया तो खर्चा हुआ दस रूपया एक दिन का और महिने भर का हो गया तीनसौ रूपये। और जो इस समय तुमने ये जो नशे की बोतल चढ़ा रखी है उसके दाम भी सौ रूपये प्रति बोतल बढ़ गये हैं महिने में तुम चार-पाँच सौ की तो पी ही जाते होंगे। जब ये बढ़ा हुआ खर्चा तुम एडजेस्ट कर सकते हो तो रसोई गैस के पच्चास रूपये का क्यों नही? इतना सुनना था कि उसका सारा नशा हिरन हो गया और बोला" अच्छा मैडम कल सुबह बात करेंगे। शुभरात्री।"...:) 

सुनीता शानू

14 comments:

  1. ्हा हा हा ………गलत बात बेचारे का सारा नशा उतार दिया…………अब बेचारे को दोबारा लगानी पडेगी तब जाकर नशा होगा।

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  2. आपने बेचारे का खर्च बढा दिया, नशा टूटने के कारण उसे 100 रुपए और खर्च करने पड़ेंगे।

    डीजल कौन सी कम्पनी ड़लवाती है, जरा उसकी सूचना भी दें, मुझे भी डलवाना है। :)

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  3. हा हा हा, ''....कल सुबह बात करेंगें''

    हकीकत पे चोट किया है सुनीता जी आपने, हम बेवजह अपना खर्च बढ़ाते हैं और रोना भी रोते हैं. गुटका-पान-सिगरेट-दारू को कैसे भी हो लोग 'मैंनेज' करते हैं पर अन्‍य सामानों पर अपनी भाषणबाजी झाड़ते हैं।

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  4. सही समझाया आपने..... :-)
    शुभकामनायें !

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  5. बेचारे का नशा तो आपने उतार ही दिया..... ये तो बहुत अछि बात है पर ये सोचना भी हमें ही है, कि क्या बदती हुई कीमतों को रोकने के लिए हम क्या कर रहे है और इसके साथ ही साथ क्या महंगाई बड़ाने में हमारा कितना योगदान है , हमारी केंद्र सर्कार की दूरदर्शिता तो इतनी अछि है की पिचले 10 माह में रिकॉर्ड 14 बार, महंगाई और तेल की बदती कीमत, और इसके साथ ही साथ पेट्रोलियम मंत्रालय में पट्रोलियम पदार्थो पर हो रही हानी की दुहाई देते हुए पट्रोलियम कमपनी को हो रही हानी बताते हुए इन सभी आवस्यक वस्तुओ के दाम बडाये है, पर यदि आप न्यूज़ चेनल पर थोड़ी सी नज़र डाले तो आप पाएंगे की पट्रोलियम पदार्थो पर हो रही हानी का पट्रोलियम कमपनी से दूर दूर तक कोई सरोकार नहीं है, पिछले 3 सालो में कभी भी पट्रोलियम कमपनी को हानी वहन नहीं की है बल्कि उन्हें मुनाफा ही हुआ है, और रही बात आज के दौर की तो, मार्च 2011 से अब तक एक न्यूज़ चेनल वालो के हिसाब से इंडियन आयल को 1545 करोड़, भारत और एच. पी. कंपनी को लगभग १२५० करोड़ का मुनाफा हुआ है, पर ये तो महंगाई बदने का कोई कारण नहीं है, क्योकि भारत में कोई भी इसका कारण नहीं जानना चाहता है, और जो जानता है वो कुछ कहना नहीं चाहता है, चंद लोग कुछ कह पाने की कोशिश करते है तो उन्हें ये सफेदपोश और खाकी वर्दी कुछ कहने लायक ही नहीं छोड़ते है, क्योकि ये भारत है हमारा भारत है, यहाँ सब कुछ अड्जेस्ट करना पड़ता है, और हम सभी उस भोले भारत कि भोली जनता है.
    सुभ रात्रि.

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  6. बेचारे का नशा तो आपने उतार ही दिया..... ये तो बहुत अछि बात है पर ये सोचना भी हमें ही है, कि क्या बदती हुई कीमतों को रोकने के लिए हम क्या कर रहे है और इसके साथ ही साथ क्या महंगाई बड़ाने में हमारा कितना योगदान है , हमारी केंद्र सर्कार की दूरदर्शिता तो इतनी अछि है की पिचले 10 माह में रिकॉर्ड 14 बार, महंगाई और तेल की बदती कीमत, और इसके साथ ही साथ पेट्रोलियम मंत्रालय में पट्रोलियम पदार्थो पर हो रही हानी की दुहाई देते हुए पट्रोलियम कमपनी को हो रही हानी बताते हुए इन सभी आवस्यक वस्तुओ के दाम बडाये है, पर यदि आप न्यूज़ चेनल पर थोड़ी सी नज़र डाले तो आप पाएंगे की पट्रोलियम पदार्थो पर हो रही हानी का पट्रोलियम कमपनी से दूर दूर तक कोई सरोकार नहीं है, पिछले 3 सालो में कभी भी पट्रोलियम कमपनी को हानी वहन नहीं की है बल्कि उन्हें मुनाफा ही हुआ है, और रही बात आज के दौर की तो, मार्च 2011 से अब तक एक न्यूज़ चेनल वालो के हिसाब से इंडियन आयल को 1545 करोड़, भारत और एच. पी. कंपनी को लगभग १२५० करोड़ का मुनाफा हुआ है, पर ये तो महंगाई बदने का कोई कारण नहीं है, क्योकि भारत में कोई भी इसका कारण नहीं जानना चाहता है, और जो जानता है वो कुछ कहना नहीं चाहता है, चंद लोग कुछ कह पाने की कोशिश करते है तो उन्हें ये सफेदपोश और खाकी वर्दी कुछ कहने लायक ही नहीं छोड़ते है, क्योकि ये भारत है हमारा भारत है, यहाँ सब कुछ अड्जेस्ट करना पड़ता है, और हम सभी उस भोले भारत कि भोली जनता है.
    सुभ रात्रि.

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  7. धन्यवाद आप सभी का। यह प्रकरण सत्यता पर आधारित है। ललित जी डीज़ल डलवाने वाली कम्पनी मेरी ही है। और वह कर्मचारी कोई और नही मेरे ऑफ़िस का ही है। चलिये कल सुबह बात करेंगे शुभरात्री...:)

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  8. आपकी पोस्ट कल(3-7-11) यहाँ भी होगी
    नयी-पुरानी हलचल

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  9. बस यूँ ही हमलोग एडजस्ट करते रहेंगे और मँहगाई बढती रहेगी ...

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  10. अंतिम पैरा में बहुत अच्छी बात कही है आपने.

    सादर

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  11. ye hui na bat, Mauke pe chwoka,
    maja aa gaya!

    tark shaandar hain / janadar hain!
    akatye!

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  12. aap sabhi ka dhanywad, jisne bhi is comment par apana mat diya hai, ek bar phir se sabhi ka dhanyawad.

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  13. सुन्दर नीति प्रस्तुत की है आपने ,सुनीता जी.
    महंगाई की मार तभी झेली जा सकती है जब हम अपने अनावश्यक खर्चों पर भी रोक लगाएं.
    कोई भी सरकार महंगाई नहीं चाहती.
    निरंतर संसाधनों का बढ़ता अभाव , कुप्रबंधन व
    गलत नीतियां ही महंगाई के लिए जिम्मेवार हैं.

    अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.

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  14. हहहः बहुत बढ़िया गणित है...सच है महगाई उन चीज़ों के लिए नहीं बढ़ती जिन्हें हम दिल से करना चाहते है...लेकिन फिर भी महगाई तो बड़ी ही है....बढ़िया व्यंग...

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आपके सुझावों के लिये आपका स्वागत है