एक पल की उम्र लेकर ( कवि सजीव सारथी का काव्य-संग्रह)
सजीव सारथी का काव्य-संग्रह “एक पल की उम्र लेकर” के बारे में कुछ कहने से पहले मै कवि के बारे में ही कुछ कहना चाहूँगी। सजीव को जब से जाना है, मैने यही महसूस किया है कि वे एक संवेदनशील, उर्जावान, नेक व्यक्तित्व के इंसान हैं। मैने हमेशा उनकी आँखों को कुछ खोजता हुआ ही पाया है। मै समझ नही पाती थी कि वे खुद को हम सबके बीच कैसा महसूस करते थे। किन्तु महसूस करती थी, उनके मन में जो दूसरों के प्रति सम्मान था, जो कभी किसी भी बात पर कम नही होता था। किसी भी गलत बात पर मैने उन्हे असहज होते फ़िर कुछ पल में संयत होते हुए भी देखा है।
अब बात आती है उनकी पुस्तक “एक पल की उम्र लेकर” तो मुझे लगता है, वर्तमान परिवेश की पीड़ा, तड़प, व्याकुलता, अकुलाहट, आक्रोश को उन्होने अपनी कविताओं में बखूबी निभाया है। कितनी पीड़ा, कितना आक्रोश है उनकी इन पंक्तियों में कि... कैसे यकीं दिलाओगे उसे कि/ महफूज है वो/ खबरों की काली सुर्खियाँ/ रोज पढ़ती है वो।
यह कहना कतई गलत नही होगा कि सजीव ने ज़िंदगी की वास्तविकताओं से अपने साक्षात्कार को पूर्ण दायित्व-बोध के साथ उकेरते हुए ईमानदारी के साथ अपनी रचनाधर्मिता का निर्वाह किया है। उनकी यह कविता सचमुच बार-बार पढ़ने का दिल करता है... काश/ मै ऎसी कोई कविता लिख पाता/ कि पढ़ने वाला/ देख पाता अक्स उसमे/ और टूटे ख्वाबों की किरचों को/ फ़िर से जोड़ पाता।
निम्न पंक्तियाँ बताती है कि हर छोटी से छोटी बात को भी कवि ने अपनी कविताओं में जीवन्तता प्रदान की है...कवि अपनी एक कविता में कहता है... वापसी में हम खेत से होकर जाते थे/ जहाँ पानी भरा रहता था/ कीचड़ से सने पाँव लेकर/ कच्ची पगडंडियों से गुजरते थे/ उन कदमों के निशाँ/ अभी तक मिटे नही हैं।
कवि की संघर्ष करने की शक्ति उसमें जीजिविषा और जीवट उत्पन्न करती है। ढुलमुल ज़िंदगी और मानवीय व्यक्तित्व को खंडित करने वाली शक्तियों से कवि आहत अवश्य होता है, किंतु निराश नही है। मन की आँखों में सपने संजोये, अपने अस्तित्व के प्रति सजग कवि कहता है कि... डूबना तो एक दिन किनारों को भी है/ फ़िर क्यों, ना खुदा को खुदा कहें/ क्यों सहारों को ढूँढते रहें/ आओ वक्त के पंखों को परवाज दें/ एक नयी उड़ान दें/ अनजान दिशाओं की ओर।
आप कहेंगे कि आज के युग में सहज, सरल, कौन है? परन्तु सब कुछ कर जाने का जज्बा दिल में होते हुए भी कवि स्वभाव से सरल है, और कितनी सहजता से कवि कहता है... मुझको था भरम /कि है मुझी से सब रोशनाँ/ मै अगर जो बुझ गया तो/ फ़िर कहाँ ये बिजलियाँ/... एक नासमझ इतरा रहा था/ एक पल की उम्र लेकर...।
मुझे नही लगता कि हर कविता को समझाना अनिवार्य है, क्योंकि यदि सम्पूर्ण काव्य-संग्रह की एक-एक कविता ध्यान से पढी जाये तो पाठक स्वय को उन कविताओं का लेखक समझ बैठेगा। मुझे भी एक पल को लगा कि जैसे ये कवितायें तो मै जी चुकी हूँ, बस पृष्ठों पर आज उभर आई है। मेरी शुभकामनाएं है सजीव तुम्हारी कलम हमेशा ऎसे ही चलती रहे.... और गीत,गज़ल,कविताओं के पुष्प वाटिका में सदैव खिलते रहें.।
एक पल की जिंदगी से ही... सूरज के रथ पर बैठकर/ जारी रखना मगर/ तुम अपना सफ़र।
सुनीता शानू
अच्छी जानकारी मिली ..आभार
ReplyDeleteफेसबुक से यहाँ आ पहुँचे...सारथीजी की इस पुस्तक को तो हम भी पढ़ना चाहते है लेकिन यहाँ कुछ विशेष पढ़ कर ही फिलहाल तसल्ली कर लेते हैं..
ReplyDeleteसंजीव जी एक प्रभावशाली व्यक्तित्व के स्वामी है.इस पुस्तक के बारे में जानकारी देने का आभार.पढ़ने की चाह है.
ReplyDeletesanjiv ji bahut pratibhashali vyakti hai hindi yugm ke madhyam se unse parchit hoon .
ReplyDeletepuskat to nishchya rup se achchhi hogihi.
bahut bahut badhai.aapka blog dekhkr bahut achchha laga
rachana
संजीव सारथी जी के बारे में आपने बढ़िया जानकारी दी है ... आप लिखते भी बहुत अच्छा है ... आभार
ReplyDeleteसजीव जी एक अच्छे रचनाकार हैं। आपकी बेबाक समीक्षा पढकर 'एक पल की उम्र लेकर' को पढने के आकांक्षा बलवती हो गयी है।
ReplyDelete------
TOP HINDI BLOGS !
संजीव सारथि एक संवेदनशील कवि के रूप में पहचाने जाते हैं. उनके कविता संग्रह "एक पल की उम्र लेकर" पर आपकी समीक्षा समीचीन लगी. यह समीक्षा कृति के बारे में उत्सुकता जगाती है. आपके प्रति आभार......
ReplyDeleteबढ़िया समीक्षा
ReplyDeletekavya sangrah ki rachana saarthak huyee....
ReplyDeleteसंजीव जी कीपुस्तक के बारे में जानकारी देने का आभार विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
ReplyDeleteसंजीव जी कीपुस्तक के बारे में जानकारी देने का आभार
ReplyDeleteसुनीता शानू जी सुन्दर और सार्थक जानकारी कवि सजीव सारथी के संग्रह के बारे में-सुन्दर निम्न शब्द आप के -धन्यवाद
ReplyDeleteकवि की संघर्ष करने की शक्ति उसमें जीजिविषा और जीवट उत्पन्न करती है। ढुलमुल ज़िंदगी और मानवीय व्यक्तित्व को खंडित करने वाली शक्तियों से कवि आहत अवश्य होता है, किंतु निराश नही है। मन की आँखों में सपने संजोये, अपने अस्तित्व के प्रति सजग कवि कहता है कि... डूबना तो एक दिन किनारों को भी है
शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर की माधुरी
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
सजीव सारथी का परिचय देने के लिए आभार आपका !
ReplyDeleteSajeev saarthi ji ke kavya sangarh "Ek pal ke umra lekhar" ki bahut umda sameeksha kar prastut karne hetu aapka bahut bahut aabhar!
ReplyDeletegeev ji kee pustak sसंजीव जी कीपुस्तक के बारे में जानकारी देने का आभार
संजीव जी के प्रति आपके दिल के उद्गार प्रभावशाली हैं.अच्छी जानकारी प्रस्तुत की है आपने उनके बारे में.
ReplyDeleteअंतिम पंक्ति कमाल की हैं
'एक पल की जिंदगी से ही... सूरज के रथ पर बैठकर/ जारी रखना मगर/ तुम अपना सफ़र।'
बहुत बहुत आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
इस पुस्तक को पढ़ने का अपना भी मन है ।
ReplyDeleteसंजीव सर की इस पुस्तक के बारे मे इतनी जानकारी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
सादर
बहुत अच्छी समीक्षा...
ReplyDeleteअच्छी जानकारी, मेरे लिए तो नई है।
ReplyDeleteसुनीता जी .........सजीव सारथी जी को आपकी कलम से पढ़ कर अच्छा लगा ......हर ह्रदय कुछ कहता है ....कविता दिल से निकली लेखनी की जुबां होती है .........
ReplyDelete--
European University is formerly known as European Teaching University one of the top recognized universities with an established status of Educational University in Georgia. European University is acknowledged by most Accreditation agencies of the world for its higher education programs organized in accordance with all the rules and regulations of World Accreditation Agencies. Since Inception University is absolutely fixated on promoting a sustainable developed environment to provide creative and personally enriched international educational standards to its students.
ReplyDelete