Tuesday, September 24, 2013

अमर उजाला में प्रकाशित एक व्यंग्य टिप्पणी...

http://www.amarujala.com/news/samachar/reflections/vyang/satire-on-aam-aadmi-party/

चकला-बेलन भी ले जाएंगे

satire on aam aadmi party
अलसुबह पार्क जाने के लिए बाहर निकली, तो हैरान रह गई। मेरे घर की खिड़की, दरवाजे यहां तक कि गाड़ी पर भी कोई झाड़ू के पोस्टर लगा गया था। सामने ही झाड़ू वाली झाड़ू लगाती हुई बड़-बड़ किए जा रही थी। मैंने पूछा, क्या हुआ, तो वह बोली, का बताएं बीबी जी, औ ससुर का नाती हमार झाड़ू पर हाथ साफ कर गया। ऐकै ही झाड़ू खरीदे रहे, ओकू भी कल आम आदमी पार्टी मा लेकर झण्डा फहराए रहे। आए तो झाड़ू सै मार-मार के ऊ का समझाई दें।

हां, सही तो कह रही है झाड़ू वाली कि झाड़ू ही लेकर चला गया उसका मर्द नारे लगाने, अब करे तो वह क्या करे? घर से निकलते समय झाड़ू वाली झाड़ू लगाती नजर आया करती थी, लेकिन आज तो सारे रास्ते भर झाड़ू के पोस्टर ही पोस्टर नजर आए।

वो झाड़ू, जो गृहणी के हाथ में होती थी। जिस झाड़ू को हम महिलाएं बदमाशों को मार-मार कर सुधारने के लिए प्रयोग में लाती थीं। आज उसी झाड़ू को सरे बाजार आसमान में चढ़ते देखा। यहां तक कि जो मौजीराम पंडित भी झाड़ू छू जाने पर दोबारा नहाकर आता था, आज वही झाड़ू उसके घर के दरवाजे पर टंगी उसे चिढ़ा रही है, कि जा नहा ले कितनी बार नहाएगा।

वाह भई वाह, आम आदमी की ये झाड़ू न जाने कितनों के माथे का तिलक बन जाएगी। पहले झाड़ू वाले को देख कर सब दूर-दूर भागा करते थे। आज आम आदमी पार्टी का हर आदमी झाड़ू उठाकर चल रहा है। खुद को आम आदमी बता रहा है। और तो और टी शर्ट कंपनियों ने झाड़ू के टैटू बना डाले हैं। यह भी हो सकता है कि किसी झाड़ू कंपनी ने सिफारिश की हो, ताकि विज्ञापन भी हो जाए, सारी झाड़ू भी बिक जाए।

ये भी तो हो सकता है कि पुरुषों ने महिलाओं को खुश करने की यह तरकीब निकाली हो। या कोई पुरुष झाड़ू खा-खाकर इतना परेशान हो गया हो कि उसने पार्टी में इसी को चुनाव चिह्न बनाने की सिफारिश की हो, वरना आम आदमी पार्टी को झाड़ू ही क्यों नजर आई, कुछ और नजर क्यों नही आया?

दोस्तो, अटकलें लगा-लगाकर मन में सांय-सांय होने लगी है। ऐसा लगता है कि कोई हमारी नारी सत्ता में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा है। आज झाड़ू ली है, कल चकला, बेलन, चिमटा सभी ले लिए गए तो? यही तो हथियार है हमारे गिने चुने। इन्हीं पर कुदृष्टि डाली गई, तो हमारा क्या होगा।

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» sunita shanuaam aadmi party

5 comments:

  1. सुनीता जी अच्छा व्यंग्य है, बधाई आपको

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  2. बहुत सुन्दर , अभी तो देखते जाइए रोज राजनैतिक पार्टियां उग रही है !!

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  3. vyang sarahniy hai achchha laga..

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