कुछ पुराने ब्लॉगर्स और हम रंजना दी के साथ-- २००७ में हमने ब्लॉगिंग शुरू की थी |
एक शिशु जो आज वयस्क हो चुका है, जिसने अपने प्रकाश से समस्त विश्व में क्रांति की लहर उत्पन्न
कर दी है, और जो आज हमारे सामने अपनी बेमिसाल क्षमता के साथ
एक चुनौती बन कर खड़ा हुआ है। जी हाँ! हम बात कर रहे हैं इंटरनेट की दुनियां की , जिसने सम्पूर्ण विश्व को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा दिया है।
पंद्रह वर्ष पहले की ही तो बात है, अप्रैल सन १९९७ मे जब पहला अंग्रेजी ब्लॉग बना था, किसी ने सोचा भी नही था कि आने वाले समय में छोटा सा यह उपकरण
सम्पूर्ण विश्व पर प्रभुता कायम कर लेगा। सर्वप्रथम पीटरमी.कॉम के पीटर मर्होल्ज ने
लोगो को अपने विचार ब्लॉग पर व्यक्त करने के लिये प्रेरित किया, और लोगो को स्वयं को अभिव्यक्त करने का यह तरीका बहुत अच्छा
भी लगा और तभी से नेट सर्फ़िंग का तूफ़ान सा आ गया है। परन्तु सारा दिन कम्प्यूटर के
आगे बैठा आदमी मानसिक रूप से इतना अपंग हो जाता है कि उसे नेट के सिवा कुछ नजर नही
आता, और आज ब्लॉगिंग रूपी मकड़ी ने उसके दिमाग में अपना
जाल इस कदर बुन लिया है, कि वो एक कीट-पतंगें की तरह उसमें फ़स कर रह गया
है।
यह कहने में जरा भी संदेह नही कि इंटरनेट ने अनेक विधाओं में
ख्याति प्राप्त की है, जिसमें संचार और अभिव्यक्ति के क्षेत्र में प्रमुख
योगदान ब्लॉग जगत का ही है। हिन्दी ब्लॉग जगत को शुरू हुए दस साल की अवधी हुई है,परंतु इसने जिस तरह से प्रगती की है, वो काबिले तारीफ़ है ब्लॉग जगत ने सामुदायिकता और परस्पर सहयोग की भावना को भी जन्म
दिया है। इसमें बहुत से एग्रीगेटर अपना सम्पूर्ण सहयोग दे रहे हैं, कुछ हिन्दी भाषी ऎसे भी हैं, जिन्होने हिन्दी फ़ोन्ट्स का निर्माण किया है जिसका फ़ायदा आज सम्पूर्ण वेब -जगत
उठा रहा है, कुछ लोग इस नई टेकनालॉजी से अवगत करवा रहे है,व कई नये भाषा संबंधी सॉफ़्टवियर भी मुफ़्त उपलब्ध किये जा रहे
हैं। यहाँ तक की राजनेताओं और अभिनेताओं को भी ब्लॉगिंग का नशा चढ़ ही गया है। लालू
प्रसाद यादव, लालकृष्ण अडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, फ़ारूख अब्दुल्ला, अमिताभ बच्चन, शाहरूख खान,आमिर खान, मनोज बाजपेई, आदि कई मशहूर लोगो के ब्लॉग पर दस्तक दी जा सकती
है। ब्लॉगिंग करते कुछ ऎसे पत्रकार भी हैं जो अपनी बात को जनता तक आसान तरीके से पहुँचाने
का जरिया ब्लॉगिंग को ही समझते हैं।ब्लॉग सिर्फ़ राजनैतिक,सामाजिक,साहित्यिक,सांस्कृतिक गतिविधियों का ही परिचायक नही है वरन बहुत सी कम्पनियाँ
अपने उत्पादों का प्रचार भी कह रहीं हैं। आज ब्लॉग कमाई का साधन भी बनता जा रहा है। ब्लॉग की दुनिया एक आम हिंदुस्तानी
की दुनिया बन गई है। बहुत सी पर्दानशीं औरतें जो घर से बाहर भी नही जा पाती हैं, घर बैठे ही अपने विचारों से सारी दुनिया को अवगत करवा सकती हैं।
कहने की बात नही की एक आम आदमी में भी ब्लॉगिंग को लेकर जुनून पैदा हो गया है।
ब्लॉगिंग करने वाला खुद अपने आप में सम्पादक होता है अपनी ब्लॉग
डायरी का, वह जो चाहे उस पर लिख सकता है। वह किसी के भी बारे में
आपत्ति-जनक छाप सकता है, दूसरे ब्लॉगर चाहें तो उसे आकर टिप्पणी भी दे सकते
है,
और वो अपने ब्लॉग से चाहे जिसकी टिप्पणी हटा भी
सकता है, इसमें एक खास बात यह भी है कि ब्लॉग लिखने वाला
या टिप्पणी देने वाला खुद को अज्ञात भी रख सकता है, इससे सबसे ज्यादा परेशानी उन सम्मानित लोगो को होती है, जो यह जान भी नही पाते की उनके चरित्र पर कीचड़ उछालने वाला कौन
है,
इस तरह आज ब्लॉग जगत के मकड़जाल में कई ऎसे कीट भी
पैदा हो गये है जो किसी सज्जन का चरित्रहनन करने से बाज़ भी नही आते, अज्ञात बन कर अपनी आवाज़ दुनियां तक पहुँचाने की सुविधा जहाँ
आदमी को अपनी बात कहने की पूरी छूट देती है, वहीं दूसरी और इंसान के दब्बूपन का द्योतक भी है,
हिन्दी भाषा को सुधारने के लिये कुछ ब्लॉगर कमर कसकर मैदान में
उतरे हुए है, वही कुछ लोगो ने हिन्दी पर चिंदी लगाने का काम किया
हुआ है, अगर आम बोल-चाल की भाषा भी लिखी जाये तब भी गनीमत
है,
परंतु नेट की दुनियां मे होता गाली -गलौज यह दर्शाता
है कि हम कितने पढ़े लिखे, सभ्य, हिन्दी भाषी है। इनमें से अधिकतर ऎसे ब्लॉगर भी हैं, जो अत्यधिक प्रतिभाशाली, पढ़े-लिखे है, जो अगर अपने अनुभवों को दूसरों से बाँटे तो दूसरे
कई लोगों को फ़ायदा हो सकता है, परन्तु वे अपने सम्पूर्ण
ज्ञान को ताक पर रख कर एक दूसरे पर कीचड़ उछालते या, बेसिर-पैर की कविता-बाज़ी करते नजर आते है,
इससे समय का दुरूपयोग तो होता ही है, साथ ही आपसी वैमनस्य की भावना भी पनपने लगी है।
इंटरनेट की सुविधा ने जहाँ बहुत से काम आसान कर दिये हैं, वहीं आदमी को निक्कमा और आलसी भी बना दिया है, सब कुछ ऑनलाइन उपलब्ध होने से कोई मेहनत ही नही करना चाहता।
घर बैठे बिठाये इंटरनेट पर शॉपिंग, बुकिंग, ऑनलाइन बैंकिंग सब कुछ हो जाता है , इसके अतिरिक्त नेट पर गुगल बाबा सर्च इंजन ने तो कमाल कर दिया
है,
कब कहाँ क्या हो रहा है, कौन कहाँ रहता है, हर बात का पता मिल जाता है बस जिस चीज़ की जानकारी चाहिये उससे संबंधित शब्द लिखो
और सर्च करो। पल भर में गुगल के वेब पेज पर उससे संबंधित तमाम सामग्री मिल जाती है, और तो और बच्चों की स्कूल में मिलने वाला होली-डे होम-वर्क भी
बच्चे आजकल नेट से ही करते हैं।
सच कहें तो जिस अकेले पन को दूर करने के लिये हम ब्लॉग जगत में
अपनी पैठ बना रहे थे , आज उसी की वजह से अपनो से दूर होते जा रहे हैं, सुबह-शाम उठते-बैठते ब्लॉगिंग करती महिलायें अक्सर घर के कार्य, बच्चे, पति, घर के बड़े बुजुर्ग सभी की अवज्ञा कर बैठती है, सुबह शाम बस एक ही धुन सवार होती है उन पर की फ़लां ब्लॉग पर
आज क्या छपा है? किसको कितनी टिप्पणी मिली, मुझे कितने लोग टिप्पिया कर गये है, और जिसे देखिये वही एक दूसरे को ब्लॉग यू आर एल देता नजर आता
है,
यहाँ तक की पार्टियों मे लोग एक दूसरे को ब्लॉग
एड्रस देते हुए इतना तक कह देते है कमैंट जरूर दिजियेगा और फ़िर सिलसिला शुरू हो जाता
है ,सब काम-धाम छोड कर अधिक से अधिक लोगो को टिपियाने
का ताकि वो भी आकर अपना ब्लॉगर धर्म पूरा करें, जैसे कह रहें हो तू मेरी पीठ खुजला मै तेरी खुजलाता हूँ।
वैसे तो माना जाता है कि ब्लॉगिंग करना खुद को दुनियां के सामने
रखना हैं, ब्लॉगिंग का फ़ायदा उन बुजुर्ग लोगो को अवश्य हुआ
है,
जो रिटायरमेंट के बाद जिन्दगी से ऊब महसूस कर रहे
थे,
ब्लॉग जगत में उन्हे नये दोस्त मिल गये है। जिन्दगी
को जीने का एक जरीया मिल गया है। परन्तु आज अंतर्जाल का सबसे अधिक प्रयोग युवा जगत कर रहा है, आज हर कम्पनी में नेट की व्यवस्था होने से युवा वर्ग काम-काज
छोड़ कर चोरी-छिपे फ़ेसबुक, हाय फ़ाइव, ऑर्कुटिंग,यू ट्यूब व ब्लॉग
बनाने में लगा हुआ है।
जहाँ तक नई तकनीक का सवाल है वह तभी अच्छी तरह से फ़लीभूत होती
है,जब वह जीवन को गतिमय बनाऎ रखे एक नई दिशा प्रदान करे। परन्तु
यदि कोई भी तकनीक हमारे जीवन में गत्यवरोध का कार्य करे और इस कदर घुस-पैठ करे की हम
बंध कर रह जायें, तो वह हमारे जीवन के लिये दुखदायी है अतः आवश्यकता है समझदारी की ताकि इस नई तकनीक द्वारा जीवन को गतिमान बनाया जा सके।
सुनीता शानू