Friday, September 5, 2008

गुनाहगारों की रिएलिटी एक व्यंग्य...

हिंदी मीडिया पर प्रकाशित

बिग बॉस बड़ा अच्छा शो है, एक साथ इतने सारे अजनबी लोगो का साथ-साथ परिवार की तरह रहना, वाह मज़ा आ गया! श्रीमान जी चहक कर बोले

अजनबी!! सबको तो जानते हो, नया कौन है भला ? ये अहसान कुरैशी कितनी बार कविता सुना-सुना कर हँसाता रहा है सबको। और रेवती बहन आ रा रा रा इसे नही पहचानते, सास भी कभी बहू में थी न, और ये राहुल महाजन जाने कब तक इस पर मुकदमा चलता रहा और टी वी पर दिखाते रहें हैं, मोनिका बेदी भी चेहरा छुपा-छुपा टीवी पर रोती रही है, श्रीमती जी ने अचूक बाण फ़ेंका।

हाँ-हाँ ठीक है बाबा! परन्तु अलग-अलग जगहों से आये लोगों को अजनबी ही तो कहेंगें, इसमें कुछ गलत नही है, तुम्हे तो बेकार कमी निकालने की आदत है,इनमें से कोई सेलिब्रिटी तुम्हें मिल जाता न तो तुम झट सारी बातें भूल कर कह रही होती ऑटोग्राफ़ प्लीज, काश मै भी जा पाता, इस रियलिटी शो में।

हुँह मै सबकी तरह मूर्ख नही हूँ और रियलिटी शो किसे कह रहे है आप? कोरी बकवास है यह, पर्दे पर और वह भी जब इंसान को पता है कि उसे कैमरे से देखा जा रहा है, उसकी हर गति-विधि पर पूरी नजर रखी जा रही है,क्या वह अपनी असली जिन्दगी जी पायेगा, क्या सचमुच इसे रियलिटी शो कहा जायेगा? श्रीमती जी तैश में आ गई।

और नही तो क्या पुलिस भी तो पूरी मुस्तैदी से बिग बॉस पर नजरे गढ़ाए हुए है, मोनिका बेदी और राहुल महाजन की सारी गतिबिधि देख रही है पुलिस। क्या पता कोई सुराग हाथ लग जाये।वाह रे मेरे देश की भोली-भाली पुलिस, अभी देखना मोनिका बेदी डॉन के बारे में सब कुछ बता ही देगी, और हाँ राहुल महाजन भी शायद अपने गुनाह यहीं कबूल करेगा। आप भी न कितने भोले हैं, जानते नही टी वी के पर्दे पर सब नाटक है सच्चाई नही। कह कर श्रीमती जी ने टी वी बंद कर दिया गया।

अरे! ,मुझे तो देखने दो! तुम्हे पसंद नही तो मत देखना। मुझे तो अच्छा लग रहा है, कैसे एक साथ रहेंगे सबके सब, कम से कम यह बात एकता की भावना ही पैदा करती है। तुम तो एकता कपूर के नाटक देख-देख कर नारी सशक्तीकरण के उपाय ढूँढती रहती हो बस, श्रीमान जी गुस्से मे झल्लाए।

तो क्या हुआ, आप क्या बच पायेंगे एकताजी से, एकता कपूर अपने भाई तुषार कपूर के साथ आ रही है बिग बॉस में,अब नया फ़ंडा होने वाला है, चलो अच्छा है एकता जी की लाईफ़ की रियलिटी भी पता चल जायेगी, कैसे वो इतने सारे सीरियल एक साथ बना पाती हैं,अच्छा सुनो ! मोनिका बेदी की शक्ल देख कर तो बहुत मासूम नजर आती है, मुझे तो इस बेचारी पर तरस आता है, शायद यह सच ही कह रही है, इसको पता नही होगा कि जिससे यह प्यार करती है, वह अंडरवर्ड का सरगना है। सुना है डॉन मोनिका को टीवी पर देख कर और बेचैन हो गया है, अब तो कुछ न कुछ जरूर पुलिस के हाथ लग ही जायेगा, कहकर श्रीमान जी मुस्कुराये।

बस ! यही एक कसर बाकी थी, अब इस एक टीवी शो को देख कर आपने कह दिया की मोनिका अपराधी नही हालात की शिकार होगी, थोड़ी देर में कहोगे की राहुल महाजन भी बेगुनाह है, क्या अब सजा-याफ़्ता मुजरिम भी वी आई पी कहे जायेंगे? अगर आधी से ज्यादा जनता यही सोचने लगी तो जानते हैं क्या होगा, टी वी सीरियल ही अदालत का रूप इख्तियार कर लेंगें, और पुलिस अपराधी को पकड़ने के लिये सब काम-धाम छोड़ टीवी पर नजरे गढ़ाए बैठी रहेगी, और अपराधी मज़े से चैनल की शोभा बढ़ा रहे होंगें।