Wednesday, July 30, 2008

सबसे सुखी गरीब

अमर उजाला के तीर-ए-नजर में प्रकाशित एक व्यंग्य प्रस्तुत है...

महंगाई जब आती है, अमीरों के सिर चढ़ जाती है, मिडिल क्लास फ़ैमिली को मुँह चिढ़ाती है, परन्तु गरीबी के पेड़ की एक डाल भी हिला नही पाती... वो कल भी तरसते थे रोटी को और रोटी आज भी गरीब को भाव दिखाती है... गरीब ये कह कर निजात पाता है, 'बड़े लोगो की बड़ी-बड़ी बातें, हम तो इसमें ही सुखी हैं'... लेकिन पिसती रहती है मिडिल क्लास फ़ैमिली , गरीब कहे जाने को तैयार नही इज्जत खराब होगी, और अमीरी के चक्कर में न जाने कितनी बार जलील होना पड़ता है, भाव-ताव, जोड़-तोड़ कर-कराके बमुश्किल घर का खर्च अमीर की तरह चला पाते हैं सारी भड़ास निकलती है महँगाई पर, दोनो की लड़ाई बराबर होती है...
अमीरों को महगांई बड़ी खूबसूरत लगती है, कटी-फ़टी ड्रेस हजारों रूपये की खरीदते है, जबकी गरीब कटी-फ़टी ड्रेस में अपनी गरीबी छुपाने की कोशिश करता है, और उसी ड्रेस को मिडिल फ़ैमिली के पहनते ही अश्लील कहा जाता है... और फ़िर लगता है पटरी छाप कपड़ों पर बड़ी कम्पनियों का नकली लेबल...जिसे खरीद कर मिडिल फ़ैमिली अपने-आप को अमीर महसूस कर पाती है,...अपनी झूठी शान-शौकत के चलते ये चेहरे अमीरों की भीड़ मे आसानी से पकड़ भी लिये जाते हैं,...हद से ज्यादा टपकती हँसी अथवा सहमापन यह बता देता है कि अभी-अभी महँगाई ने इन्हे किस कदर निचौड़ा है।
महंगाई के चलते अपनी शादी को यादगार बनाने के लिये अमीर तरह-तरह की अजीबो-गरीब हरकतें भी करते रहते हैं, कभी आसमान में शादी, तो कभी पानी के अन्दर, और अब तो सुनने में आता है दूल्हा हेलिकाप्टर से उतरता है और दुल्हन गुब्बारे से, चाहे लाईसेंस हो या न हो,... इन शादियों में कई लाखों रूपये सिर्फ़ कूदने-फ़ाँदने में ही खर्च हो जाते है...हाल ही में एक दूल्हे मियाँ ७००० फ़ीट की ऊँचाई से कूद कर मंडप मे पधारे, जैसे कि कह रहे हों अगर बच गया तो इस शादी के मौके को हमेशा याद रखूँगा, और अगर न बच पाया तो तुम सब याद रखोगे मेरी कुर्बानी...जैसे कि देश के लिये शहीद हुआ जा रहा हो... मिडिल क्लास फ़ैमिली की शादी की जो महँगाई के साथ होती है, अपने बूते से बाहर दहेज देने पर भी दुल्हन के पिता की पगड़ी सरे-आम उड़ा दी जाती है, दहेज की बलिवेदी पर बैठी दुल्हन या तो जला दी जाती है या छोड़ दी जाती है,
सबसे सुखी है गरीब आदमी कभी घोड़ी नही,कभी बैंड-बाजा नही तो कभी बराती नही दुनियां को शादी का पता भी नही चलता और शादी हो जाती है...
एकदिन महँगाई मुझसे टकराई मैने पूछा उससे," ईश्वर ने जब इन्सान को बनाने में भेदभाव नही किया तू क्यों भाई-भाई के बीच दूरी बनाती है, तेरा आना ही समाज में दंगे फ़ैलाता है, गरीब और गरीब अमीर और अमीर होता जाता है,..वो बोली सबको अपना नाम चाहिये, कुर्सी चाहिये अगर सबके सब टाटा,बिड़ला और मुकेश अम्बानी बन जायेंगे तो मुझको कहाँ पायेंगे... मत भूलिये मेरे आने से ही देश में इंकलाब आता है मै अगर चली गई,तो देश में बाकी क्या बच जायेगा...भूख से कोई मरेगा नही, बिमारी से कोई डरेगा नही...बरसों से गरीब इतना भूखा है कि सब कुछ खाकर भी उसका पेट भर नही पायेगा...और देश में अकाल पड़ जायेगा..."

सुनीता शानू

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