Monday, July 8, 2013

नटखट तुम कब सुधरोगे




आप सोच रहे होंगे किस नटखट की बात हो रही है। नटखट का तो बस एक ही नाम होता है नटखट कृष्ण को भी कहते थे। लेकिन मै उन बच्चों को कहती हूँ जो अपनी हाज़िर जवाबी से सामने वाले को चुप कर देते हैं।
अभी कुछ समय पहले की ही बात है मै गार्डन में घास पर चक्कर लगा रही थी कि एक बच्चा दूसरे बच्चे से बोला... अच्छा आँखें तेज़ कर रही है। सुनकर गुस्सा तो आया ही हँसी भी आई कि बच्चे इतनी आसानी से ऎसा कैसे बोल देते हैं।
बच्चों मे निडरता का गुण मेरे ख्याल से परवरिश से ही आता है। कल की ही बात है मै ऑफ़िस के बाहर कोरिडोर में खड़ी फ़ोन पर बात कर रही थी कि मेरे कान में आवाज़ आई। डर मत मै हूँ न। नन्ही सी वो आवाज़ मुझे अपनी ओर खींच रही थी मैने बाहर झाँक कर देखा तो पता चला कि एक पाँच साल का बच्चा अपने से भी छोटे बच्चे को कह रहा था। चल मै चलता हूँ तेरे साथ तूं डर मत मै हूँ न। सुनकर ही बहुत अच्छा लग रहा था। दिल चाहा कि उसे चूम लूं थोड़ा सा गाल खींचू जो बचपन में बड़े हमारे साथ करते थे। मैने बाहर आकर उसे प्यार से पूछा कहाँ जा रहे हो बेटा। वो बोला आपको कहाँ चलना है। एकदम से झंन्नाटेदार थप्पड़ की सी आवाज़ आई। मै साहस करके बोली अभी तो आप इसे कह रहे थे कि चल मेरे साथ डर मत वही पूछ रही हूँ आप कहाँ जा रहे हो। वो फ़िर उसी टोन में बोला... पहले आप बताईये आपको चलना कहाँ है... कुछ देर बाद रुक कर बोला अच्छा सोच कर बता देना कि आपको चलना कहाँ हैं। मै उसे देख कर ठगी सी खड़ी रह गई ऎसा लगा जैसे वो बड़ा है और मै उसका बच्चा और मेरे गाल खींच कर परेशान कर रहा है। आखिर उससे पीछा छुड़ाना मुश्किल लगा तो मैने उसके घर को हथियार बनाया और पूछा तुम इसी पास वाले घर में रहते हो न सुनते की वो सर पर पैर रख कर भाग गया। 
किस्से तो और बहुत हैं जो इन नटखटों की नटखटी बातों से मन में घर कर गये हैं। ऎसा ही एक नटखट कल राँझना मूवी मे देखा जो छुटपन में ही एक मुस्लिम लड़की का आशिक हो गया। लो कर लो बात।