Thursday, December 24, 2009

सर्दी में कैसे नहाएं (अमर उजाला के सम्पादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित...)

सर्दी में कैसे नहाएं



सुनीता शानू

सर्दी के मौसम में रजाई से निकलकर नहाने के लिए जाना भी एक विकट समस्या है। इस मौसम में शर्मा जी खुद को सबसे बदनसीब प्राणी समझते हैं। हर सुबह उस व1त उनका मूड उखड़ जाता है, जब पत्नी न नहाने पर बार-बार उलाहना देती है। आखिरकार बीवी कमांडर बनकर उन्हें बाथरूम की तरफ धकेल ही देती है। वह शहीद बनकर अंदर घुस जाते हैं। ठीक ऐसे ही समय पड़ोस से मिश्रा जी के गाने का स्वर आता है, ठंडे-ठंडे पानी से नहाना चाहिए।

बस बीवी का दिमाग तमतमा जाता है, कब तक आलसी की तरह पड़े रहोगे? मिश्रा जी से कुछ सीखो, जो रोज ठंडे पानी से नहाते हैं। एक तुम हो, जो गरम पानी से नहाते हुए भी रो रहे हो। अब श्रीमती जी को कौन समझाए कि मिश्रा जी सचमुच ठंडे पानी से नहा रहे हैं या गरम पानी से। या नहा भी रहे हैं कि सिर्फ राग अलाप रहे हैं। बहरहाल बेचारे शर्मा जी को उठना ही पड़ा।अब यह कोई एक दिन की बात तो है नहीं। रोज-रोज का नहाना, सचमुच कंपकंपी-सी चढ़ जाती है

नल तेजी से चलाएं और ठिठुरते हुए गाएं, ताकि बीवी को लगे कि आप सचमुच नहा रहे हैं। हां, गीले तौलिये से शरीर पोंछना न भूलें


शर्मा जी पत्नी को समझा-समझाकर थक गए कि सर्दी में नहाना बेवकूफों का काम हैं। एक तो पसीना आता नहीं, दूसरे पानी की बरबादी। खैर ये गूढ़ रहस्य की बातें हैं, पत्नी की मोटी बुद्धि में घुसने वाली नहीं।

अचानक माथे पर चंदन का टीका लगाए मौजीराम को आए देख शर्मा जी थोड़े आश्वस्त हुए। उन्हें लगा, डूबते को तिनके का सहारा मिला। लेकिन बीवी ने मौजीराम के सामने एक बार फिर शर्मा जी के न नहाने का उलाहना दिया। मौजीराम ने आग में घी डालते हुए कहा, अरे भाभी जी, सर्दी में नहाना अति उत्तम है, और वह भी ठंडे पानी से तो समझो कि सो रोगों की दवा।

बेचारे शर्मा जी गुस्से में दांत किटकिटा रहे थे। अब तो सहन करना मुश्किल हो गया। मौजीराम रोज-रोज नहाने वाला बंदा तो है नहीं, कोई न कोई घोटाला अवश्य है। खैर शर्मा जी को विप8िा में देख मौजीराम ने दोस्त होने का फर्ज निभाया और उन्हें शीत स्नान का नुसखा बताया। शीत स्नान यानी ह3ते में बस एक दिन रविवार की छुट्टी के दिन नहाएं। बाकी दिनों बस ठंडे पानी के नल को पूरे वेग से चलाएं और ठिठुरते-ठिठुरते गुनगुनाएं, ताकि पत्नी को लगे आप सचमुच ठंडे पानी से ही नहा रहे हैं। इसके बाद तौलिया भिगोकर सिर व हाथ-पैर पोंछ लें।


कहा भी जाता है कि धोए कान हुआ स्नान, अर्थात शीतकाल में इसे ही संपूर्ण स्नान माना जाएगा। और हां, चेहरे पर क्रीम और सिर में खुशबू वाला तेल लगाना न भूलें। सप्ताह के दिन जैसे-जैसे बीतें, वैसे-वैसे तेल, परफ़्यूम आदि की मात्रा बढ़ा दें। और हां, साबुन और कपड़े गीला करना न भूलें।

मौजीराम जी के नुसखे पर अमल कर शर्मा जी सुखी हैं। रोज शीत स्नान करते हैं और पत्नी से कहते हैं, सचमुच सर्दी में नहाने का मजा ही कुछ और है। लेकिन मिसेज शर्मा यह सोच-सोचकर हैरान हैं कि शर्मा जी आखिर चमेली का तेल क्यों लगाते हैं?