सर्दी में कैसे नहाएं
सुनीता शानू
सर्दी के मौसम में रजाई से निकलकर नहाने के लिए जाना भी एक विकट समस्या है। इस मौसम में शर्मा जी खुद को सबसे बदनसीब प्राणी समझते हैं। हर सुबह उस व1त उनका मूड उखड़ जाता है, जब पत्नी न नहाने पर बार-बार उलाहना देती है। आखिरकार बीवी कमांडर बनकर उन्हें बाथरूम की तरफ धकेल ही देती है। वह शहीद बनकर अंदर घुस जाते हैं। ठीक ऐसे ही समय पड़ोस से मिश्रा जी के गाने का स्वर आता है, ठंडे-ठंडे पानी से नहाना चाहिए।
बस बीवी का दिमाग तमतमा जाता है, कब तक आलसी की तरह पड़े रहोगे? मिश्रा जी से कुछ सीखो, जो रोज ठंडे पानी से नहाते हैं। एक तुम हो, जो गरम पानी से नहाते हुए भी रो रहे हो। अब श्रीमती जी को कौन समझाए कि मिश्रा जी सचमुच ठंडे पानी से नहा रहे हैं या गरम पानी से। या नहा भी रहे हैं कि सिर्फ राग अलाप रहे हैं। बहरहाल बेचारे शर्मा जी को उठना ही पड़ा।अब यह कोई एक दिन की बात तो है नहीं। रोज-रोज का नहाना, सचमुच कंपकंपी-सी चढ़ जाती है
नल तेजी से चलाएं और ठिठुरते हुए गाएं, ताकि बीवी को लगे कि आप सचमुच नहा रहे हैं। हां, गीले तौलिये से शरीर पोंछना न भूलें
शर्मा जी पत्नी को समझा-समझाकर थक गए कि सर्दी में नहाना बेवकूफों का काम हैं। एक तो पसीना आता नहीं, दूसरे पानी की बरबादी। खैर ये गूढ़ रहस्य की बातें हैं, पत्नी की मोटी बुद्धि में घुसने वाली नहीं।
अचानक माथे पर चंदन का टीका लगाए मौजीराम को आए देख शर्मा जी थोड़े आश्वस्त हुए। उन्हें लगा, डूबते को तिनके का सहारा मिला। लेकिन बीवी ने मौजीराम के सामने एक बार फिर शर्मा जी के न नहाने का उलाहना दिया। मौजीराम ने आग में घी डालते हुए कहा, अरे भाभी जी, सर्दी में नहाना अति उत्तम है, और वह भी ठंडे पानी से तो समझो कि सो रोगों की दवा।
बेचारे शर्मा जी गुस्से में दांत किटकिटा रहे थे। अब तो सहन करना मुश्किल हो गया। मौजीराम रोज-रोज नहाने वाला बंदा तो है नहीं, कोई न कोई घोटाला अवश्य है। खैर शर्मा जी को विप8िा में देख मौजीराम ने दोस्त होने का फर्ज निभाया और उन्हें शीत स्नान का नुसखा बताया। शीत स्नान यानी ह3ते में बस एक दिन रविवार की छुट्टी के दिन नहाएं। बाकी दिनों बस ठंडे पानी के नल को पूरे वेग से चलाएं और ठिठुरते-ठिठुरते गुनगुनाएं, ताकि पत्नी को लगे आप सचमुच ठंडे पानी से ही नहा रहे हैं। इसके बाद तौलिया भिगोकर सिर व हाथ-पैर पोंछ लें।
कहा भी जाता है कि धोए कान हुआ स्नान, अर्थात शीतकाल में इसे ही संपूर्ण स्नान माना जाएगा। और हां, चेहरे पर क्रीम और सिर में खुशबू वाला तेल लगाना न भूलें। सप्ताह के दिन जैसे-जैसे बीतें, वैसे-वैसे तेल, परफ़्यूम आदि की मात्रा बढ़ा दें। और हां, साबुन और कपड़े गीला करना न भूलें।
मौजीराम जी के नुसखे पर अमल कर शर्मा जी सुखी हैं। रोज शीत स्नान करते हैं और पत्नी से कहते हैं, सचमुच सर्दी में नहाने का मजा ही कुछ और है। लेकिन मिसेज शर्मा यह सोच-सोचकर हैरान हैं कि शर्मा जी आखिर चमेली का तेल क्यों लगाते हैं?
बचपन में ऐसा बहुत किया है , लेकिन मुम्बई में तो ठंढ पड़ती नही ।
ReplyDeletekis ne kha hai nhane ko draiklin bhi to isi liye avishkrit hui hai oer ydi joon o se itna hi dr hai tonai ki dukan jindabad hai desh men pani ki kmi vaise hi ho rhi hai aadhi aabadi ko pine ke liye hi pani nhi mil rha nhana to bhut door hai or ydi nhane men hi smy lgaoge to fir desh ka kam k b kroge is liye bhool jao aise bate
ReplyDeletedr. ved vyathit
dr.vedvyathit@gmail.com
हा हा यह सही तरीका है नहाने का :)
ReplyDeleteअपना तो Holi to Holi वाला फार्मूला है
ReplyDelete"मिश्रा जी से कुछ सीखो, जो रोज ठंडे पानी से नहाते हैं। एक तुम हो, जो गरम पानी से नहाते हुए भी रो रहे हो।"
ReplyDeleteहा-हा-हा, सर्दियों में पति से अगर खुंदक निकालनी हो तो यह अच्छा तरीका है, पड़ोशियो के उदाहरण दे-देकर उसे ठन्डे पानी से नहला दो !
Achchha aalekh, AMAR UJALA men prakashit hone pe badhaayi.
ReplyDelete--------
अंग्रेज़ी का तिलिस्म तोड़ने की माया।
पुरुषों के श्रेष्ठता के 'जींस' से कैसे निपटे नारी?
बहुत नाइंशाफी है. शर्मा जी को पत्नी पीडि़त एसोसियेशन से सहायता लेनी चाहिए, उनके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है, अपने इच्छानुसार रहने की स्वतंत्रता छिन रही है, मानवाधिकार संगठन के पास जाना चाहिए. उन्हें पत्नी के आदेशों के विरूद्ध संघर्ष करना चाहिए, गांधीवादी अनशन करना चाहिए. शर्मा जी डटे रहो, आपको नहाने के लिए कोई भी विवश नहीं कर सकता. हा हा हा.
ReplyDeleteमेरे ख्याल से यह सब करने के बजाए बाथरूम में घुस कर नहां ही लें तो ज्यादा अच्छा क्योंकि सत्य की गंध बहानों के चमेली की खुशबू से ज्यादा खुश्बूदार होती है.
बहुत सुन्दर लिखा है आपने सुनीता जी, धन्यवाद.
हा..हा..मज़ा आ गया. शानदार व्यंग्य.
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा पढ़कर।
ReplyDeleteऔरत का दर्द-ए-बयां
कई पोस्ट पढ़ा.कई दिन आता रहा इधर.एक बात तो पूरे विश्वास के साथ कही जा सकती है कि इन दिनों ब्लॉग के मार्फ़त जो लिखा जा रहा है, उसे मुख्यधारा[kathit] के लेखकों को अवश्य पढना चाहिए.विशेष कर उल्लेख करूँगा कि आप ने कई विषय को और विधागत अंतर के साथ लिखने की बखूबी कामयाब कोशिश की है. संतुलित है, और कथ्यगत है और शिल्प में नयापन भले न हो लेकिन परम्परा को बचा कर रखा है आपने, ये क्या कम है!!
ReplyDeleteखूब लिखिए.खूब पढ़िए.
आपके उज्जवल भविष्य की कामना नए वर्ष की शुभमानाओं के साथ!
दी.... आपकी यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी...... मज़ा आ गया पढ़ कर....
ReplyDeleteआनंद आगया इस सर्दी मे यह पोस्ट पढकर.
ReplyDeleteरामराम.
अब क्या करे सर्दी इतनी है ......दिखाना तो पड़ता ही है ना कि रोज नहाते हैं....:))
ReplyDeleteहा हा!! अब यही उपाय जानना शेष था. :) आप कितनी ज्ञानी हैं... :)
ReplyDeleteअजी शेर भी कभी नहाता है?
ReplyDeleteसर्दियों में नहाना नहीं चाहिए
ReplyDelete1 कौआ स्नान करें या
ReplyDelete2 पानी गर्म करें फिर नहा लें
मजेदार लेख ।
म्हे तो चिंता मै ही पड़ ग्या था के शर्मा जी को कांई होसी, पण रामजी भली करे भायले मौजी राम जी एक नुख्सो बताई दियो,थ्हे भी गजब ही करो हो घर की बातां घर मै ही रहण दिया करो,एक बार जोर सुं हंस लियो जाए। हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा राम-राम
ReplyDeleteहा..हा..हा.. बहुत बढ़िया स्नान है.. पढ़कर ही नहाने का एहसास हो गया.. दिल्ली में वैसे भी सर्दी बहुत पड़ रही है..
ReplyDeleteये तो आपने बड़ा शानदार नुस्खा सुझा दिया सुनीता जी। बस अब शीत स्नान ही किया करेंगे।
ReplyDeleteलेकिन एक प्रश्न है, तेज आवाज में बाल्टी भरने के बाद; उसका क्या करेंगे...?
are thand main kaisi kaisi baat karti hain sunita ji ! uhhhhuhhh..bahut thand hai bhai.
ReplyDeletekahan hain Sunita ji aaj kal aap??
ReplyDeletebilkul dikhayee nahin detin..
------Holi ki dher sari shubhmanayen---
achha laga G padhna
ReplyDeleteshaandar hasye he
achha laga G padhna
ReplyDeleteshaandar hasye he
padhkar mja aa gya sundar lekh ke liye bdhai
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