Tuesday, August 18, 2009

बीमारी का लाभ


अमर उजाला पर प्रकाशित एक व्यंग्य....

इधर जब से शर्मा जी को हल्की सी खाँसी आई हैं, ऑफ़िस में रूबी भी हाथ मिलाने से हिचकिचाती है।शर्मा जी बहुत परेशान हैं। बाहर स्वाइन फ़्लू का बढ़ता हुआ आतंक और घर में बीबी का। बार-बार हाथ धोते-धोते परेशान हो गये थे। गले लगाना तो दूर लोग हाथ मिलाते हुए भी कतराते थे। अगर स्वाइन फ़्लू सचमुच हो गया तो? रूबी की बात तो छोड़ो बीबी भी पास न आयेगी। शर्माजी उलझल में थे कि उनके दोस्त मौजीराम आ धमके। शर्मा जी ने उन्हे आपबीती सुनाई।मौजीराम ठहरे ऑल टाइम मौजी। लगे स्वाईन फ़्लू के फ़ायदे गिनाने। यार घबराते क्यों हो?फ़ायदा क्यों नही उठाते।आराम का आराम और बिना आरक्षण सीट पर विश्राम।शर्मा जी-वो कैसे? अरे यार स्वाइन फ़्लू के मरीज के पास कौन बैठेगा सोचो? तुम आराम से मैट्रो मे सफ़र कर पाओगे। घर के सारे काम भी बीबी चुपचाप किया करेगी। दिन भर तुम्हारी सेवा करेगी।एक सबसे बढिया बात, ऑफ़िस से बॉस भी छुट्टी दे देगा। मौजीराम की बात शर्मा जी के दिमाग में फ़िट हो गई।
योजनानुसार शर्मा जी एन 95 स्पेशियल मास्क पहन आये। तैयार होकर जैसे ही मैट्रो पर चढे़। तैसे ही खाँसी आई सारी भीड़ छट गई,पास बैठी खूबसूरत बाला उन्हे छोड़ मौजीराम के साथ बैठ गई।ऑफ़िस मे भी बॉस उन पर बरसता उससे पहले ही खाँसी आई और बॉस नरम होकर बोला-अरे पहले बताया होता न तुम बीमार हो। जाओ आराम करो। शर्मा जी मन ही मन मौजीराम को थैंक्यू पकडा रहे थे।तभी उनकी नजर रूबी पर पड़ी जो मौजीराम से हाथ मिलाते हुए कह रही थी कि आप कितने नेक हैं,जो जान की परवाह किये बगैर स्वाइन फ़्लू के मरीज के साथ है। शर्मा जी बेचारे तिलमिला कर रह गये।
मौजीराम के सौजन्य से मिसेज शर्मा को पता लग चुका था,अब तक सभी रिश्तेदारों को फोन किये जा चुके थे। शर्मा जी को घर पहुँचते ही सबने दूर से ही देखा। उनके कपड़े उनका सामान सब पृथक कर दिया गया। पत्नी की आँखों के आसूँ शर्मा जी को बेहाल कर रहे थे,कि अचानक मौजीराम की आवाज आई आप फ़िक्र क्यों करती हैं भाभी जी,मै हूँ न। और बस घर के सभी सदस्य मौजीराम की आवभगत में ।
शर्मा जी को हॉस्पिटल भर्ती करवाया गया। डॉक्टर को मौजीराम ने जाने क्या समझाया की उसने भी स्वाइन फ़्लू की बीमारी कन्फ़र्म कर दी, अब शर्मा जी का बुरा हाल, मौजीराम की मौज,लोग मौजी राम को मसीहा कहने लगे।
हॉस्पिटल से छूट कर शर्मा जी जब ऑफ़िस पहुँचे तब ४४० वाट का करंट उनसे चिपक चुका था।रूबी बन गई थी मिसेज मौजीराम। मौजीराम को बॉस के द्वारा प्रोमोशन मिला था। और शर्मा जी के घर में ही नही उनकी बीबी के दिल में भी मौजीराम ने गहरा असर छोड़ा था कि जिन्दगी भर उनके परिवार की रक्षा का बन्धन बीबी ने उसके हाथ पर बाँध दिया। शर्मा जी मौजीराम को हड़काते,या अपना फ़ायदा उठाने पर डाँट लगाते मगर खाँसी आई और शर्मा जी चुप होकर रह गये। मौजीराम मुस्कुराते हुए गुनगुना रहे थे-स्वाइन फ़्लू बड़े काम की चीज है...

सुनीता शानू