Sunday, December 1, 2019

दोस्ती जब भी कीजिए...




दोस्ती जब भी किसी से की जाए, पहले जांच परख ली जाए, जांच लिया जाए कि आपने जिससे दोस्ती की है उसे आप पर भरोसा है भी कि नहीं, यह भी देख लिया जाए कि वह आपकी निस्वार्थ दोस्ती को आपकी मतलबपरस्ती तो नहीं मान बैठेगा, आपको जानना पड़ेगा आपके दोस्त के दोस्त कैसे हैं, इंसान किसी की न सुनता हो मगर हर वक्त कान के पास आने वाली आवाजें दिमाग में घर बना लिया करती हैं।
आपको देखना होगा मौकापरस्त  दोस्तो की दोस्त को पहचान है भी की नहीं ? और कहीं वह कान का कच्चा हुआ तो ऐसे में दोस्ती कभी भी टूट सकती है, यदि आप सचमुच किसी को दोस्त मानते हैं, और उसका हित चाहते हैं, तो चुपचाप ऐसे लोगों से किनारा कर लेना चाहिए, दोस्ती हमेशा एक दिल, एक दिमाग़ और एक ही सोच वाले लोगों के साथ निभ पाती है...
किसी ने सच ही कहा है 

 "A best friend is that who knows all about you and still loves you." 


यदि आप सोचते हैं मेरा दोस्त कभी मेरे लिए ग़लत सोच ही नहीं सकता, आंखें ग़लत देख सकती हैं, कान ग़लत सुन सकते हैं, लेकिन मेरा दिल यह जानता है कि वह मेरा बुरा सोच ही नहीं सकता।तो यकीन मानिये आपने एक अच्छा दोस्त पा ही लिया है। यदि इतना भरोसा है तो दोस्ती क़ायम है वरना आपके आगे पीछे कुकुरमुत्तों की फौज इकठ्ठी है जो कभी भी कान से बहरा, आंख से अंधा बनाए रख सकती है। लोग कभी भी दो लोगों की दोस्ती बर्दाश्त नहीं कर पाते, और तिल का ताड़ बनाते हैं, जो जिंदा है उसकी ख़बर कोई नहीं रखता, लेकिन गड़े मुर्दे उखाड़ने में सर खपाते हैं...।
 तो जिंदगी के चार पल सुकून से जिए जा सकें, इसके लिए राहत इंदौरी साहब ने कहा है...

 दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए

सुनीता शानू