पहरेदारी मुल्क की सौंप हमारे हाथ ..
सारा भारत चैन से सोये सारी रात .
भारतीय सेना के एक ऑफ़िसर विजेंद्र शर्मा की यह पंक्तियाँ बरबस ही याद आ रही हैं, आप भी सोचिये इस विषय में। हमारे बुजूर्ग कहा करते थे, "पर उपदेश कुशल बहुतेरे" यानि जिनकी कथनी और करनी में फ़र्क होता है उनकी बात कोई मायने नहीं रखती।
आप समझ गये होंगे मै क्या कहना चाहती हूँ, दिल्ली सरकार द्वारा आमिर खान को हटा कर अमिताभ बच्चन को 'अतुल्य भारत' का ब्रांड एम्बेसडर बना देना कुछ लोगों को गलत लग रहा है, लेकिन सोचिये जो इंसान हिंदुस्तान में रहने से आतंकित है, और जिसकी हिंदुस्तानी पत्नी भी देश छोड़कर जाना चाहती है तो वो कैसा भारत निर्माण करेंगे? क्या संदेश देंगें?
जिस देश को हम माँ कहकर पुकारा करते हैं उसे आतंकवादियों के डर से मुसीबत में छोड़ सकते हैं? क्या अपनी माँ के साथ भी ऎसा ही सोचा जा सकता है?
मुझे लगता है एेसा ख़्याल आना भी देशद्रोह से कम नहीं है।
आप भी यदि अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर देश छोड़ देना चाहते हैं तो उन लाखों वीर जवानों के परिवारों का क्या होगा जो देश की रक्षा में खुद को झोंक रहे हैं, आमिर खान और उसकी पत्नी सरीखे न जाने कितने परिवारों की सुरक्षा का दायित्व उठाये हुये हमारे देश के वीर कहीं जाने की नहीं सोचते, सच्चा भारत निर्माण इन्हीं से है, मुझे लगता है सरकार को किसी अभिनेता की अपेक्षा यह संदेश देने के लिये उन वीर सैनिकों को आगे लाना चाहिये, जिनकी बातों में ही नहीं खून में भी देशभक्ति का जज्बा होता है, ताकि हर देश वासी में देश के प्रति देशभक्ति पैदा हो न की मुसीबत में भाग खड़े होने की बातें हो।
जयहिंद
सारा भारत चैन से सोये सारी रात .
भारतीय सेना के एक ऑफ़िसर विजेंद्र शर्मा की यह पंक्तियाँ बरबस ही याद आ रही हैं, आप भी सोचिये इस विषय में। हमारे बुजूर्ग कहा करते थे, "पर उपदेश कुशल बहुतेरे" यानि जिनकी कथनी और करनी में फ़र्क होता है उनकी बात कोई मायने नहीं रखती।
आप समझ गये होंगे मै क्या कहना चाहती हूँ, दिल्ली सरकार द्वारा आमिर खान को हटा कर अमिताभ बच्चन को 'अतुल्य भारत' का ब्रांड एम्बेसडर बना देना कुछ लोगों को गलत लग रहा है, लेकिन सोचिये जो इंसान हिंदुस्तान में रहने से आतंकित है, और जिसकी हिंदुस्तानी पत्नी भी देश छोड़कर जाना चाहती है तो वो कैसा भारत निर्माण करेंगे? क्या संदेश देंगें?
जिस देश को हम माँ कहकर पुकारा करते हैं उसे आतंकवादियों के डर से मुसीबत में छोड़ सकते हैं? क्या अपनी माँ के साथ भी ऎसा ही सोचा जा सकता है?
मुझे लगता है एेसा ख़्याल आना भी देशद्रोह से कम नहीं है।
आप भी यदि अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर देश छोड़ देना चाहते हैं तो उन लाखों वीर जवानों के परिवारों का क्या होगा जो देश की रक्षा में खुद को झोंक रहे हैं, आमिर खान और उसकी पत्नी सरीखे न जाने कितने परिवारों की सुरक्षा का दायित्व उठाये हुये हमारे देश के वीर कहीं जाने की नहीं सोचते, सच्चा भारत निर्माण इन्हीं से है, मुझे लगता है सरकार को किसी अभिनेता की अपेक्षा यह संदेश देने के लिये उन वीर सैनिकों को आगे लाना चाहिये, जिनकी बातों में ही नहीं खून में भी देशभक्ति का जज्बा होता है, ताकि हर देश वासी में देश के प्रति देशभक्ति पैदा हो न की मुसीबत में भाग खड़े होने की बातें हो।
जयहिंद