भैंस बहुत ही परेशान है, करे... तो क्या करे? या तो किसी तालाब में डूब मरे, लेकिन वो तो तैरना जानती है सो आत्महत्या भी नहीं कर पा रही है। कल तक पच्चीस किलो दूध और चार टाइम गोबर करके घर वालों के लिये दूध और उपलों का इंतजाम भैंस के द्वारा हो रहा था कि अचानक एक सिरफ़िरे डायरेक्टर की नजर उस पर पड़ गई थी, दोनों ने एक दूसरे को कनखियों से देखा था, घर के मालिक ने भैंस के दूध की खीर खिला कर भैंस के फ़िल्म में काम करने की बात भी पक्की कर डाली। जब गाँव भर के भैंसों को पता चला था सबने बहुत रोका लेकिन भैंस पर तो हिरोइन बनने का ऎसा भूत सवार था कि नहीं मानी।
अब भैया फ़िल्मों में भैंस भी कभी हिरोइन बन सकती है कोई सोच नहीं सकता था, खुद भैंस को भी ये यकीन नहीं हो रहा था कि कोई उसके रूप रंग पर फ़िदा होगा, और उसे फ़िल्म की हिरोइन का रोल देगा। वो बार-बार पानी की होद में अपने चेहरे को निहार रही थी, और मन ही मन खुद को ब्लैक ब्यूटी पुकार रही थी। ताज्ज़ुब तो इस बात का हुआ जब भैंस को डायरेक्टर ने मिस कहकर पुकारा, अब तक कम से कम चार पडिया को जन्म दे चुकी थी। सोच कर फ़ूली न समाई । उसे दिन में ही करीना, कैटरीना के सपने आने लगे, अब तो मुहल्ले भर के लड़के मिस बोल कर सीटी बजाने लगे। अब कोई भी उसकी तुलना काली मोटी बदसूरत महिलाओं से नहीं कर पायेगा। हो सकता है उसे भी प्यार से शाहरूख या सेफ़ मिस युनिवर्स कह कर बुलायेगा। उसकी हैल्थी बोडी को देखकर टुनटुन भी कह देंगे तो भी चलेगा। कम से कम हिरोइन तो कहलायेगी ही।
मै बैठी-बैठी मिस की खूबसूरत आँखों, मतवाली पूँछ के बारे में सोच ही रही थी कि दरवाजे की घंटी बजी, मैने दरवाजा खोला, बाहर झाँका तो एक भैंस दिखाई दी, जो लाल रंग की साड़ी लपेटे गोबर में लिथड़ी खड़ी थी, ध्यान से देखा तो मै चौंक पड़ी अरे यह तो हमारी मिस है, अरे क्या हुआ बहन? सहसा मेरे मुह से निकला। मिस के चेहरे की दुर्दशा बता रही थी कि गुजरी रात उसे पार्लर ले जाया गया होगा, गाढे लाल पेंट की लिपस्टिक देखकर लगता था किसी का खून पीकर आई हो, शायद किसी ने खूनी समझ मारा भी था उसे, मोटी मगर खूबसूरत आँखों का काजल बह-बहकर उसके साथ हुये हादसे को कुछ परसेंट बयान भी कर रहा था। मुझे देखते ही वो बुक्का पाड़ कर रोने लगी, मुझसे उसका रोना देखा नहीं जा रहा था, मैने तुरंत एक बाल्टी में पानी, और कुछ फ़्रूट्स लाकर रखे, अब हिरोइन बन कर यही तो खाये होंगे बेचारी ने...
मिस रोये जा रही थी, मैने प्यार से उसके सिर पर हाथ फ़ेरा उसने बोलना शुरू किया,- “ क्या बताऊं दीदी किस बुरी घड़ी में मैने गली के सारे भैंसों स नाता तोड़ कर उस मुये डायरेक्टर से नाता जोड़ लिया, उसने मेरी शादी भी कराई, मैने रात-दिन एक कर दिया था फ़िल्म की शूटिंग में, पच्चीस किलो दूध देती थी बिना कोई फ़ीस लिये, लेकिन जैसे ही फ़िल्म परदे पर आई मुझे कोई पूछता तक नहीं। जैसे-तैसे अपनी फ़िल्म देखने हॉल में घुस गई तो गार्ड ने मार-मार डंडे बाहर निकाल दिया। अब भला ये भी कोई बात होती है? क्या हम नारी जाति के अधिकारों का इसी प्रकार शमन होता रहेगा? मुझ बिरहन का साथी जिसके साथ शादी रचाई मुझसे बात तक नहीं करता है। भैंसे को छोड़ मैने एक इंसान से शादी कर ली, कुछ नहीं सोचा अपनी बिरादरी के बारे में कि लोग क्या कहेंगें... अब इस अवस्था में जब मै कहीं की न रही बाहर निकाल दी गई। आप ही बताईये दीदी एक शादी के रहते हमारी बिरादरी में कौन मुझसे शादी करेगा।
उसकी नाजुक हालत थी फिर भी पूछना तो बनता ही था मैने कहा, तो तुम बताओ मै क्या मदद करूं तुम्हारी। उसने कहा दी बहुत उम्मीद के साथ आपके द्वार पर आई हूँ, आप भी एक नारी हैं मेरा दर्द अच्छे से समझेंगी और मुझे न्याय दिलवायेंगी। मुझे मेरे पति ने धोखा दिया है, सी आर पी सी की धारा 125 के तहत मुझे गुजारा भत्ता तो मिलना ही चाहिये। मिस की दलील सही थी, अदालत में याचिका दर्ज करवा दी गई, लेकिन दूल्हे और डॉयरेक्टर को कोई सज़ा मिले इसके पहले ही आऊट ऑफ़ कोर्ट सेटलमेंट हो गया, अब मिस प्रोड्यूसर के यहाँ बाड़े में रहती है, सिर्फ़ चारा खाकर दस किलो दूध देती है, इस उम्मीद के साथ की उसे अगली फ़िल्म की शूटिंग के लिये फिर बुलाया जायेगा।