रात युक्रेन के लिए बेहद डरावनी बीतेगी यही समाचार सुनते-सुनते सो गई थी, मुझसे वहाँ के नागरिकों के आँसू देखे नहीं जा रहे थे, न सुबह समाचार देखने का ही मन हुआ।लेकिन कब तक हम इन्हीं सब दुखदाई पलों से भागते रहेंगे?
आपको याद न हो तो बता देती हूँ आज ही के दिन एक भीषण अग्निकांड हुआ था।जी हां गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस की एक पूरी की पूरी बोगी जला दी गई थी, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई। ये वही लोग थे जो अयोध्या से लौट रहे थे। इसके बाद वही हुआ जो होता आया है,सांप्रदायिक दंगे, जानमाल का नुकसान।
आम जनता से पूछिए तो युद्ध कब शांति का विकल्प रहे हैं, युद्ध से कभी मसले हल नहीं हुए हैं। मगर युद्ध होते रहे हैं।दुआ करें यह युद्ध जल्दी समाप्त हो जाए।
हर युद्ध में हज़ारों देशभक्त शहीद हो जाते हैं कल रात युक्रेन के एक शहीद विटाली का चेहरा भी देखा जिसने पुल को उड़ाने के लिए स्वयं का बलिदान कर दिया, और मुझे यह भी याद आया कि...
आज ही के दिन आज़ादी के दीवाने चंद्रशेखर आज़ाद ने अंग्रेजों की गिरफ्तारी से बचने के लिए खुद को गोली मार ली थी।
एक युद्ध यह भी था।
देशभक्ति को नमन। देशभक्तों को नमन।
सुनीता शानू