बहुत दिन हो गये दिल्ली
में इस तरह की घटनाये देखती आई हूँ। कभी सांई संध्या, कभी जगराता, तो कभी सुंदर काण्ड
,सम्पूर्ण रामायण, निर्जला एकादशी तो कभी भण्डारा। ऎसा नही मै नास्तिक हूँ पूजा पाठ
में विश्वास नही करती लेकिन पूछना चाहती हूँ क्या जोर-जोर से चिल्लाने से भगवान चले
आयेंगे? देर रात तक शोर मचाने से भगवान चले आयेंगें? किस धर्म ग्रंथ में लिखा है आप
छोटी-छोटी गलियाँ रोक कर सड़कें रोक कर साई संध्या या जगराता करवायें। और करवायें भी तो
सुबह पत्तलें खाकर संड़कों पर फेंक जायें? गाड़ियों का पोल्युशन क्या कम है जो सड़क पर
गंदगी फ़ेंकी जाये। जिससे दुर्गंध तथा मक्खी-मच्छर पैदा होंगे जो बीमारियां फैलायेगे।
कल तो बहुत ही खूबसूरत
नज़ारा देखने को मिला। वैसे तो मै किसी भजन संध्या वगैरह में कम ही जाती हूँ। मेरे पिता कहते हैं प्रार्थना में जो शक्ति है वह घण्टे घड़ियाल बजा कर पुकारने में नहीं। बहरहाल एक भजन मंडली लगी थी माता को बुलाने में बीच मे सांई महाराज भी
विराजमान थे एक तरफ़ राधा-कृष्ण विराजमान थे। बारी-बारी से भक्त ने तीनों का जयकारा
लगाया और बोला मेरी भेंट ध्यान से सुनना जो नही सुनेगा उसे माता की तरफ़ से सज़ा मिलेगी।
सब हाथ ऊपर उठायें। और सारी भीड़ ने हाथ ऊपर उठा लिये। अब शुरू हुआ भजन। भजन की दो पंक्तियां
खत्म होती वो रुक कर पूछता बहनजी आप बतायें मै कहां रुका। अब बहनजी माता को याद करने
में ताली बजाने में लीन थी, नही सुन पाई, जुर्माना हुआ इक्यावन रुपय्या चढ़ाइये। ऎसे
करते-करते किसी से ग्यारह, किसी से इक्कीस रुपये चढ़वाता रहा। अब कोई समझाये भगवान ने कब किसी पर जुर्माना लगाया कि तू मेरा भजन नही सुन रहा इतना रुपया सज़ा। अजीब पागल बनाने की कोशिश लग रही थी।
ये भजन मंडली जो भजन
करवाता है उससे तो पैसा लेती ही है साथ ही जो दान चढ़ाया जाता है बटोर लेती है। अब प्रश्न
ये उठता है कि कैसे समझाया जाये लोगों को कि ईश्वर की आराधना शांत-मन से बिना किसी
व्यवधान के की जा सकती है।
कबीर दास जी ने कहा है न…
कंकड़ पत्थर जोड़ के
मस्ज़िद ली चिनाय, ता चढ़ मुल्ला बाग दे क्या बहरा है खुदा।
यह बात हरेक के लिये
लागू होती है। हाथ उठाकर तस्वीर के आगे चिल्लाने से माँ नही आ जायेगी। इन मंडलियों
में पैसा बहाने से माँ नही आ जायेगी। यदि सच्चा है इश्क ईश्वर से तो किसी असहाय की
मदद करनी चाहिये। इंसानियत की मदद करनी चाहिये।
सुनीता शानू
हाहाहहाहााहा
ReplyDeleteसुनीता जी कोई जरूरी थोडे है कि सारी बातें लिख दी जाएं, अब देखिएगा दूसरे मंडली वालो ने भी आपका लेख पढ़ लिया तो वहां भी जुर्माना शुरू हो जाएगा।
सच बताऊं तो मन मेरा भी हो रहा है एक मंडली बनाने का.. और जुर्माना वसूलने का..
बहुत बढ़िया..
पता नही क्यों लोग समझना नहीं चाहते, आप सबसे पूछना चाहता हूं कि आप इतनी दूर माता वैष्णों देवी या और किसी मंदिर मे दर्शन करने जाते हैं और जब मूर्ति के सामने दर्शन करने की बारी आती है तो आंख बंद कर लेते हैं। कभी सोचा आपने कि जब आंख बंद करते हैं तो आप जाते कहां है, अपने भीतर। यानि अपना मन साफ रखें और क्या कहूं..
क्या बात है महेंद्र जी आपने बात को सही तरह से पकड़ा है। धन्यवाद।
Deleteबहुत से लोगो की आस्था पर चोट कर रही हैं हैं ये पोस्ट ....बस थोडा संभाल कर ...वैसे हैं ये करारा व्यंग्य
ReplyDeleteधन्यवाद अंजू जी। आप पोस्ट ध्यान से पढ़िये किसी की आस्था पर चोट नही है आज हर इंसान जानता है कि इस तरह चिल्लाने से शोर मचाने से भगवान को बुलाया नही जा सकता। बस समझने की देर है।
Deleteसटीक पोस्ट ……………इस तरह पुकारो कि उससे किसी को तकलीफ़ ना हो तब तुम्हारी पुकार उस तक पहुँचेगी ।
ReplyDeleteआज तो मेरे मन की बात कह दी .... बढ़िया पोस्ट ... महेंद्र जी ने बिलकुल सही लिखा है --
ReplyDeleteकभी सोचा आपने कि जब आंख बंद करते हैं तो आप जाते कहां है, अपने भीतर।
काश यही सब सोच सकें , समझ सकें
'क्या जोर-जोर से चिल्लाने से भगवान चले आयेंगे?'
ReplyDeleteऔर तो और बिना लाउडस्पीकर के शायद सुनाई ही न दे, चाहे परीक्षा के दिन ही क्यों न चल रहा हो.
धर्म के नाम पर आडम्बरों की भरमार है. ठगों ने तो मानों जरिया ही बना रखा है आस्था और विश्वास को भुनाने का.
बिलकुल सही कहा आपने... ऐसे अंधविश्वासी तक़रीबन हर धर्म में हैं, इन्हें पता नही नहीं कि यह धर्म नहीं बल्कि अधर्म है. आप लोगो को परेशानी में डाल कर धर्म का पालन हो ही नहीं सकता है, क्यों आम लोगो की परेशानियों को दूर करने के लिए ही ईश्वर ने धर्म बनाया है.
ReplyDeleteइसी विषय पर मेरी स्वयं मेरे मौहल्ले में झगडा हो चुका है... लेकिन में अपनी बात कहने से पीछे नहीं हटता हूँ... जिस तरह फेसबुक पर वेद प्रकाश शर्मा जी आपसे कह रहे हैं ठीक उसी तरह मेरे मौहल्ले को लोगो ने मंदिरों / गुरुद्वारों में शोर मचाए जाने की दुहाई दी थी... मतलब एक गलत काम करे तो गलत को गलत कहने की जगह उसका अनुसरण करने लग जाओ... यह मेरा जवाब था...
हालाँकि आपने जो कबीर का दोहा यहाँ लिखा है, मुझे नहीं लगता कि वह कबीर ने लिखा था, क्योंकि वह एक मुस्लिम के घर पाले-बढे थे, इसलिए उनको यह ज्ञान होना लाज़मी है कि अज़ान ईश्वर के लिए नहीं बढ़ी जाती बल्कि केवल एक एलान है लोगो को नमाज़ का समय बताने के लिए.... और हाँ अज़ान के लिए माइक की आवश्यकता बिलकुल भी नहीं है.... लेकिन लोग है कि मानते ही नहीं....
मेरे विचार से माइक पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी जानी चाहिए...
इस विषय पर मैंने भी एक लेख लिखा था, जिसका लिंक नीचे दे रहा हूँ...
धार्मिक ठेकेदारो की दादागीरी
यदि सच्चा है इश्क ईश्वर से तो किसी असहाय की मदद करनी चाहिये। इंसानियत की मदद करनी चाहिये।.... Yes, I agree! Humanity should be our religion.
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा आपने... ऐसे अंधविश्वासी तक़रीबन हर धर्म में हैं, इन्हें पता नही नहीं कि यह धर्म नहीं बल्कि अधर्म है. आप लोगो को परेशानी में डाल कर धर्म का पालन हो ही नहीं सकता है, क्यों आम लोगो की परेशानियों को दूर करने के लिए ही ईश्वर ने धर्म बनाया है.
ReplyDeleteइसी विषय पर मेरी स्वयं मेरे मौहल्ले में झगडा हो चुका है... लेकिन में अपनी बात कहने से पीछे नहीं हटता हूँ... जिस तरह वेद प्रकाश शर्मा जी आपसे कह रहे हैं ठीक उसी तरह मेरे मौहल्ले को लोगो ने मंदिरों / गुरुद्वारों में शोर मचाए जाने की दुहाई दी थी... मतलब एक गलत काम करे तो गलत को गलत कहने की जगह उसका अनुसरण करने लग जाओ... यह मेरा जवाब था...
हालाँकि आपने जो कबीर का दोहा यहाँ लिखा है, मुझे नहीं लगता कि वह कबीर ने लिखा था, क्योंकि वह एक मुस्लिम के घर पले-बढे थे, इसलिए उनको यह ज्ञान होना लाज़मी है कि अज़ान ईश्वर के लिए नहीं पढ़ी जाती बल्कि केवल एक एलान है लोगो को नमाज़ का समय बताने के लिए.... और हाँ अज़ान के लिए माइक की आवश्यकता बिलकुल भी नहीं है.... लेकिन लोग है कि मानते ही नहीं....
मेरे विचार से माइक पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी जानी चाहिए...
इस विषय पर मैंने भी एक लेख लिखा था, जिसका लिंक नीचे दे रहा हूँ...
धार्मिक ठेकेदारो की दादागीरी
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ReplyDeleteआस्था और विश्वास दिखावे की चीज़ नहीं है... पर जाने क्यों आडम्बर ही बन कर रह गयी है...
ReplyDeleteआयोजकों को सलाह दें कि भजन की जगह कवि सम्मेलन कराया जाए :)
ReplyDeleteआयोजकों को सलाह दें कि भजन की जगह कवि सम्मेलन कराया जाए :)
ReplyDeleteमाँ की कृपा ऐसे नहीं होती. सही विषय उठाया है.
ReplyDeletejai ho:)
ReplyDeletekashh jor se keertan karne se bhagwan khush ho jate...:)
par is se to kuchh logo ki po-barah hoti hai!!
बहुत ही बढ़िया सार्थक एवं सटीक पोस्ट...आज कल तो आस्था को मज़ाक बना कर बाज़ार में बेंचा और खरीदा जा रहा है। जो देखो खुद को भगवान साबित करने में लगा है और इस मामले में मूरखों की कमी नहीं हमारे देश में...काश कबीर दास जी की हर एक छोटी और सदा सी बात सभी को समझ आजाये...तो शायद इस देश का कुछ भला हो जाये।
ReplyDeleteaapne Bebaki se likha hai! ek writer ka yahi kartavye hai! ki jo uske aas-paas ghatit ho raha ho, usko baisa hi batlana! I agreed with your Article! Bhajan karo, chowki/jagran karo/ lekin aas-paas ka khyaal karo/ gandgi na felao! sundar bate! one should learn from this!
ReplyDeletejai jai ! jai mata di!