Friday, March 8, 2013

गलतफ़हमियाँ या एक और साजिश



दोस्तों जागरण जंक्शन में एक सवाल रखा गया था...मासूम बच्चियों के साथ यौन अपराध के लिये आधुनिक महिलायें कितनी जिम्मेदार हैं?
मैने इसी विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किये हैं आप भी पढ़िये...



सबसे पहले मै बता देना चाहती हूँ कि आधुनिक महिला कौन है… मेरी नज़र में आधुनिक महिला वो औरत है, जिसने घुटन से आज़ादी हासिल की है। आधुनिक महिला वो है, जिसने पुरुष के कंधें से कधाँ मिला कर चलना शुरु किया है। जो अपने पैरों पर खड़ी है। आधुनिक महिला वो है, जो परिवार के मुखिया की तरह परिवार के भरण-पोषण का जिम्मा लेती है। आधुनिक महिला अपने फ़ैसले खुद लेती है। किसी भी गलत बात को होते देख विरोध करती है। वह आधुनिक महिला है, जिसने समाज़ में अपने लिये एक सम्मानित स्थान प्राप्त किया है। पुरुष की तरह उसने भी हर क्षेत्र में कामयाबी हासिल की है।

अब बात आती है आधुनिक महिलाओं को उन महिलाओं से जोड़ने की जो अपनी लड़कियों को छोटे-छोटे कपड़े पहनने की सीख देती हैं। अरे कहाँ हैं आप लोग एक समय था जब इतनी छोटी बच्चियों को कपड़े पहनने तक का सऊर नही था। मुझे याद है बारिश में नंगे बदन लड़कियाँ भी लड़कों के साथ खूब शोर मचाते हुए नहाती थी। घर में जब नये कपड़े आते थे सबके सामने अहाते में ही पहनने-बदलने शुरु हो जाते थे। किसी को आभास तक नही होता था कि यह बच्ची जो सात या आठ साल की है आने वाले समय में गैंग रेप का शिकार हो जायेगी। तो मेरी नज़र में यह बेकार की बात है कि नन्ही बच्चियाँ कम कपड़ों की वजह से बलात्कार का शिकार होती हैं।

दोस्तों सच कुछ और ही है जो सदियों से चला आ रहा है। बात आज की कि जाये या उस वक्त की जब औरत सिर्फ़ एक औरत थी, और चुप थी। उस वक्त भी बलात्कार होते थे। सच कहना बहुत कठिन है मगर सच यही है। नन्ही सी बच्ची नही जानती उसके चाचा उसे प्यार क्यों कर रहे हैं। नन्ही सी बच्ची नही जानती की भाई की जगह उसे क्यों पीठ पर लाद घोड़ा बनने पड़ौस के मामा हर रोज़ आ जाते हैं। वो यह भी नही जानती उसकी टीचर उसकी पेंटी का कौनसा डिजाइन पसंद करती है जो बार-बार देखना चाहती है। जाने कितनी ही बातें ऎसी हैं जो सदियों से ढकी-छुपी है। यह भी मुझ जैसी आधुनिक महिला की लाचारी है जो अपनी बात कहने के लिये हर शब्द को तौलना पड़ रहा है। कहीं जरा भी शब्द में हेरा-फ़ेरी हुई तो मेरे अज़ीज़ दोस्त मुझे अश्लीलता के कटघरे में ला खड़ा करेंगे। लेकिन मै जानती हूँ चाहे ऊपर से जितने लोग मुझे न न कहेंगे गालियाँ निकालेंगे। सच कभी बदल नही सकता।

बच्चियों के यौन शोषण की जिम्मेदार आधुनिक महिलायें नही हैं। वरन उन्ही की वजह से आज सारी वारदातें सामने आ रहीं है। आज की बच्चियाँ जरा भी अभद्र व्यवहार होने पर माँ से शिकायत कर पाती है। अपना मुह खोल बता पाती है कि फलाँ व्यक्ति टीचर या अंकल उसे किस तरह से प्यार कर रहा था और पुरानी माँओं की तरह आज की यही आधुनिक महिला घूंघट की ओट में रह कर अपनी ही बच्ची को पीटती नही है वरन खुल कर विरोध करती है। और मुझे लगता है उस महिला का यह विरोध ही ऎसे लोगों को सहन नही हो रहा जो इस प्रकार के कुकृत्य कर रहे हैं। ये आपकी गलतफहमी है या सामाज के चंद ठेकेदारों की आधुनिक महिला के खिलाफ़ साजिश?

अंत में यही कहना चाहूंगी कि हमें उन लोगों का साथ देना चाहिये जिन्होनें इसके खिलाफ़ आवाज़ उठाई है। आज के माहौल को देखते हुए ज़रुरी है कि हर माँ अपनी बच्ची को ऎसी तालीम दे की वह समझ सके औरत की अस्मिता क्या होती है। हमारे कपड़े, हमारा बोलना, देखना, उठना, बैठना… हर बात हमारे व्यक्तित्व पर असर करती है। अतः बहुत ज़रुरी है हमें खुद को बनाये रखना। गर्व के साथ कहना हाँ हम आज की आधुनिक महिला है।


6 comments:

  1. Very well said Sunita ji. I completely agree with your views.

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  2. यथार्थ चिंतन सुंदर विचारोत्तेजक आलेख.

    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  3. आपकी बात काफी हद तक सही हैं ..पर पूर्णतया नहीं ...हर व्यक्ति के स्पर्श को वासना से प्रेरित मानना सही नहीं हैं .....फिर भी आज जिस तरह का वातावरण हैं उसके लिए मैं महिलाओ को कतई दोषी नहीं मानता .....छोटे बच्चो के साथ यौन दुर्व्यवहार के मामले कोई एक दम से नहीं बढ़ें हैं .....आजकल लोगो की जागरूकता की वजह से ऐसे मामले ज्यादा प्रकाश में आ रहे हैं .

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  4. दिलिप सोनी जी आप काफ़ी हद तक सहमत नही पूरी तरह से सहमत हैं बस कह नही पा रहे। यह बताईये मैने हर व्यक्ति का नाम ही कब लिया? मैने तो हर उस इंसान को छोड़ दिया जिन्हें मै जानती तक नही।:) यह सच भी है हर दूसरी या तीसरी औरत आपको सही से बता पायेंगी कि मैने सच कहा है या झूठ... यह काण्ड पहले भी होते थे मगर कोई कह नही पाता था। महिलाओं को इतनी आज़ादी कहाँ थी?

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  5. sunita ji Aap n ekdam right kaha h.

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