सुबह के पाँच बजे होटल पहुंच कर सामान रखा और निकल पड़े गंगा स्नान के लिये... गंगा का पानी एकदम रेतीला हो गया था, लेकिन स्नान करने का लोभ कुछ भी नही देख पाया, और सब कूद गये हर-हर गंगे का जयघोष करते हुये, गंगा स्नान ने सफ़र की सारी थकान खत्म कर दी थी, हल्की-हल्की बूँदा-बाँदी में ही हमने घूमने का प्लॉन बना डाला, मुझे नहीं लगता कि घुमक्कड़ियों के लिये बरसात कोई रूकावट बन पाती है, हाँ ग्रुप साथ होने से बार-बार रुकना भी पड़ा। पहले दिन हरिद्वार में ही सप्तऋषि घाट , भारत माता मंदिर,वैष्णव माता मंदिर,
दूसरे दिन की सुबह फिर गंगा घाट पर नहाने पहुंच गये, और उसके बाद मनसा माता के दर्शन के लिये लम्बी कतार में लग गये|
उड़न खटोले के लिये भी कतार थी, बाहर से यह कतार जितनी अनुशासन में लग रही थी, भीतर जाते ही गाय-भैंसों का रेला सा बन गई थी, न बच्चों का ख्याल था न बूढ़ों का, धक्का-मुक्की के बीच माता का चेहरा दूर तक नजर नहीं आ रहा था, हाँ द्वार पर एक पंडित प्रसाद चढ़ाने के साथ हर भक्त की पीठ पर एक थाप जरूर लगाता जा रहा था। देखकर बहुत ही अज़ीब लगा जब वह उसी तेज़ी से किसी बुजुर्ग की पीठ पर भी थाप लगा देता था, मै जल्दी ही वहाँ से निकल जाना चाहती थी। जल्दी ही हम ऋषिकेश के लिये रवाना हो गये।
यूँ तो ऋषिकेश का रास्ता सीधा सा है लेकिन हमने चीला जंगल से जाने का प्लॉन बनाया, करीब बीस मिनिट में हम राजाजी नेशनल पार्क पहुंच गये, कुछ फोटो ग्राफ़ी भी की...इसके बाद चीला डैम ऋषिकेश मार्ग द्वारा ही आगे बढ चले, यूँ तो यह मार्ग दूसरे मार्ग से ज्यादा दूरी तय करता है लेकिन खूबसूरत नजारों को देखते हुये और साथ बहती गंगा नदी को देखते हुये दिल करता था ये दूरी खत्म ही न हो और ये मनोरम दृश्य आँखों से ओँझल न हो जायें... आधे घंटे के अन्दर-अन्दर ही हम चीला डैम पहुंच गये,और वहाँ से पहुंचे लक्ष्मण झूला, जिसे पार करते ही नजर आया फोर्टीन फ्लोरी टैम्पल जिसे त्रियम्बकेश्वर मन्दिर भी कहते हैं यहीं पर त्रिवेणी घाट भी है, लक्षमण झूला से आगे बढे तो परमार्थ आश्रम पहुंच गये, जिसे देख कर वहाँ से लौटने का मन ही नही कर रहा था, लेकिन पटना वॉटर फ़ाल को जानने की उत्सुकता इतनी थी कि जल्दी से वहाँ पहुंच जाना चाहते थे।
नीलकंठ मार्ग से होते हुये हम पटना गाँव की ओर चले, तब तक शाम हो चली थी, पटना वॉटर फ़ॉल की दुर्गम चढ़ाई थी जो लगभग दो किलोमीटर थी, चिकने पत्थर बार-बार रेत से फ़िसलता पैर यूँ लगता था कि हमें लौट जाना चाहिये, लेकिन एक मन जो हार नहीं मान रहा था, आखिरकार हम चढते चले गये, सड़क से झरने की दूरी तकरीबन 1.5 किलोमीटर थी, ऊपर पहुंचकर जो दृश्य देखा तो देखते ही रह गये, झरने के पानी में नहाते-नहाते समय कैसे बीता खयाल ही नहीं रहा, अचानक कुछ-कुछ अँधेरा होने की आशंका हुई और ग्रुप के लोगों ने वापसी के लिये चलना शुरू किया, अंत में मै और मेरे कुछ सहयोगी ही बचे थे, अंधेरा पूरे चरम पर था, कारण की वो अमावस्या की रात थी, हमने अपने-अपने मोबाइल की टॉर्च जलाई और एक दूसरे को आवाज लगाते हुये उतरने लगे, उतरते हुये अहसास हुआ कि पहाड़ से उतरना अधिक जोखिम का कार्य है, कई बार पत्थर चुभे, पाँव फ़िसला, एक तरफ़ खाई तो दूसरी तरफ़ पत्थरों पर जमी काई, ऎसे दुर्गम स्थान से होते हुये, भोले शंकर को पुकारते-पुकारते हमने पटना वॉटर फ़ॉल का ट्रैक पार कर ही लिया।
अब दिल्ली की ओर रवानगी शुरू हुई तो रात ग्यारह बजे के लगभग खाना खाने हम एक होटल पर रुके, और आँख जब खुली तो हमारी गाड़ी दिल्ली की सड़क पर दौड़ रही थी।
मुझे लगता है मेरा हाल पढ़कर आप भी जाना चाहेंगे हम घुमक्कडियों के साथ तो सबसे पहले चलने का हौसला पैदा करें और निकल लें,... हरिद्वार ऋषिकेश सिर्फ़ धार्मिक स्थल ही नही है एक रोमाचंक पर्यटक स्थल है जहाँ बार-बार जाने का मन करेगा।
सुनीता शानू
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’क्रांतिकारी महिला बीना दास जी को नमन - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
ReplyDeleteक्या आप नए अपार्टमेंट, निर्माण के लिए 2% ब्याज दर वाले वित्तीय स्रोतों की मांग कर रहे हैं,
ReplyDeleteपुनर्वित्त,
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ReplyDeleteUniversity of Perpetual Help System Dalta Top Medical College in Philippines
ReplyDeleteUniversity of Perpetual Help System Dalta (UPHSD), is a co-education Institution of higher learning located in Las Pinas City, Metro Manila, Philippines. founded in 1975 by Dr. (Brigadier) Antonio Tamayo, Dr. Daisy Tamayo, and Ernesto Crisostomo as Perpetual Help College of Rizal (PHCR). Las Pinas near Metro Manila is the main campus. It has nine campuses offering over 70 courses in 20 colleges.
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