Thursday, October 30, 2008

बीड़ी कहाँ जलइले!

अमर उजाला पर प्रकाशित एक व्यंग्य


सार्वजनिक स्थानों पर स्मोकिंग पर प्रतिबंध लगते ही सिगरेट पीने वालों के सिर पर पहाड़ टूट पड़ा है। ऑफिस में स्मोकिंग जोन नहीं है, और बाहर सिगरेट पीने पर पुलिस पकड़ लेगी। एक मशहूर फिल्म में देव आनंद साहब सिगरेट का धुआं उड़ाते हुए गाना गाते हैं, हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया। वह फिल्म देखकर हर सिगरेट पीने वाला खुशी-खुशी सिगरेट का कश भरता और अपने चारों तरफ धुएं का गुबार छोड़ता हुआ यही गुनगुनाता था। यह और बात है कि कुछ महीनों या सालों के बाद न वह रहता और न उसकी परेशानियां।
कई चेन स्मोकर सिगरेट ऐसे पीते हैं, जैसे सांस उस पाइप से ही आ-जा रही हों। एक सज्जन ने सिगरेट का अंगरेजी में संधि-विच्छेद करते हुए इसे शी ग्रेट कहा, तो मुझे इसका धुआं उड़ाए बिना ही चक्कर आने लगा। सिगरेट सचमुच तुम कितनी महान हो। ऊंचे लोगों की ऊंची पसंद हो। ऊंची पसंद से याद आया। हमारे स्वास्थ्य मंत्री अंबूमणि रामदास की नजर अब तंबाकू पर भी पड़ गई है। ऐसे में, वह यूपी-बिहार से कोई पंगा तो नहीं ले रहे? एक फिल्म में अमिताभ बच्चन पर गाना फिल्माया गया था, अस्सी चुटकी नेब्बे ताल, रगड़ के खैनी मुंह में डाल, फिर खैनी का देख कमाल। अब ये कमाल देखने के लिए तो खैनी को मुंह में डालना ही होगा न? और सबसे बड़ी बात यह कि जो अमिताभ भैया के फैन चारों तरफ टंगे हुए हैं, वे तो ऐसा करेंगे ही।
कुछ लोग अपने बच्चों से सिगरेट मंगवाते हैं। ऐसे बच्चे आंखें बचाकर कभी-कभी खुद भी एकाध कश खींच ही लेते हैं। उन्हें लगता है, इस तरह वे जल्दी ही बड़े बन जाएंगे। और तो और, सीधे-सादे और संजीदा लगने वाले गुलजार साहब के भी मन में न जाने क्या बात आई कि उन्होंने बीड़ी सुलगाई। अब बच्चे भी गाने लगे हैं, बीड़ी जलइले...जिगर से पिया, जिगर मा बड़ी आग है। अब इन बच्चों के जिगर की आग बुझाने के लिए स्वास्थ्य मंत्री को कोई न कोई कानून बनाना ही होगा।
कल मैंने सिगरेट के लगातार कश लगाते एक ट्रैफिक पुलिस के जवान को देखकर पूछा, आप क्यों परेशान हैं? सिगरेट पीने वालों को कैसे पकड़ेंगे, क्या यही सोच रहे हैं? उसने कहा, नहीं जी, मैं तो यह सोचकर परेशान हूं कि अब सिगरेट कैसे और कहां पी जाएगी?
पान की दुकान पर कांटे फिल्म का गाना बज रहा था, सिगरेट के धुएं का छल्ला बना के, सोचना है क्या, जो होना है होगा, चल पड़े है फिक्र यार, धुएं में उड़ा के।अब सरकार को तो फिक्र है अपने नागरिकों के सेहत की, सो उसने इस तरह के धुएं को गैरकानूनी बता दिया है।
कई लोग पूछते हैं, सिगरेट, बीड़ी, तंबाकू बनाने वाली कंपनियां कब तक बंद होंगी? बंद किसलिए भैया? असली मुनाफा तो नशे से ही होता है। इसका मजा ही कुछ और है। एक बार पीकर तो देखो। सारी फिक्र भूल जाओगे।

सुनीता शानू

22 comments:

  1. दीवाली की शुभ अतिशुभकामनाओं के साथ,
    उजाला में ही पढ़ लिया था यह बेहतरीन लेख। अच्‍छा किया जो ब्‍लागरों के लिए भी प्रकाशित कर दिया। दिल बाग़-बाग़ हो गया। बधाई

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  2. मै तो देख रहा हूँ कि सिगरेट/बीड़ी पीने वाले तो अब भी धूंवा उड़ा रहे हैं. और इस धुएं का क्या कहिए जो ऊपर दीपावली के बहाने अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं. लेख अच्छा लगा. आभार.

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  3. कही कुछ बदला नजर नही आता ....अब भी लोग धड़ल्ले से पीते है....ये सिर्फ़ कुछ दिनों का शोर था

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  4. सही है एक बार पी कर देखो सब भूल जाओगे..देखते हैं पीकर!! :)

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  5. बहुत अच्छा िलखा है आपने । देश के मौजूदा हालात को बहुत यथाथॆपरक ढंग से दशाॆया है आपने । कई सवाल भी खडे करती है ।

    http://www.ashokvichar.blogspot.com

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  6. आप का लेखन बहुत सशक्त हे

    first time visited u r post
    now will read regularly
    thanks to visit my dustbin
    regards

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  7. naya likha he
    do visit chande ka saand
    regards

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  8. एक सज्जन ने सिगरेट का अंगरेजी में संधि-विच्छेद करते हुए इसे शी ग्रेट कहा, .......हमारे स्वास्थ्य मंत्री अंबूमणि रामदास की नजर अब तंबाकू पर भी पड़ गई है !
    सुपर्ब सर्वोत्तम कमेन्ट

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  9. very nice work



    Shyari Is Here Visit Jauru Karo Ji

    http://www.discobhangra.com/shayari/sad-shayri/

    Etc...........

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  10. bahut achche vishya par likha hai uttam vyangya hai.aabhar.

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  11. सब जगह अपनी बीडी, लोगों का जिगर, जलई ले...
    प्रतिबन्ध का क्या, इसका तो बस मखउल उडई ले...

    बढीया लेखन...
    सादर...

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  12. लगता है आपने शी ग्रेट को टी ग्रेट बना दिया
    है शानू जी.

    'टी' के बिजनिस में बहार आ गई है.

    आपकी तीन साल पुरानी पोस्ट भी मानो
    अभी की ताज़ी लग रही है.

    'गर्म चाय का प्याला हो...'

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  13. सार्थक व सटीक,बधाई !

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  14. bahut achchha lekh....achchha lga aapke blog par aakar..

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  15. आपके लेख ने तो बड़े बड़ों की बीडी जला दी है. बढ़िया व्यंग मजा आ गया.
    आभार.

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  16. हर फ़िक्र को धुएं में उडाता चला गया----तो बुराई नहीं है.

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  17. बहुत सार्थक और सटीक व्यंग्...

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  18. सटीक व्यंग्य .....!!!

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